अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (आर-कॉम) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्वीडन की टेलिकॉम उपकरण बनाने वाली प्रमुख कंपनी एरिक्शन की ओर से आर-कॉम के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत दायर याचिका को मंजूरी दी गई है।
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली आर-कॉम की याचिका पर अपीलेट ट्रिब्यूनल अगले हफ्ते सुनवाई कर सकता है। आर-कॉम ने स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी है कि उसने अपनी दो सहायक कंपनियों (रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल) के साथ एनसीएलएटी में अपील की है। कंपनी का कहना है कि उसने नेशन कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) कीक ओर से 15 मई को दिए गए आदेश पर रोक लगाने की मांग की है।
आर-कॉम के प्रवक्ता ने बताया, “आर-कॉम के निदेशक और इसकी दो सहायक कंपनियों (रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल) ने एनसीएलएटी में एक अपील की है और गुहार लगाई है कि एनसीएलटी की मुंबई बेंच के आदेश पर रोक लगाई जाए, जिसमें एनसीएलटी की आईबीसी प्रक्रिया हेतु डेट रेजोल्यूशन के लिए एरिक्शन की एप्लीकेशन को स्वीकार करने की अनुमति दी गई थी।”
आपको बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में ही एनसीएलटी ने कंपनी की दिवालियापन प्रक्रिया के लिए एरिक्सन की ओर से दायर एक याचिका स्वीकार कर ली थी। इस याचिका के जरिये एरिक्सन आरकॉम से अपना 1,150 करोड़ रुपये बकाया का भुगतान चाहती है।
एरिक्सन के साथ विवाद क्या है?
वर्ष 2014 में एरिक्सन ने आरकॉम के टेलीकॉम नेटवर्क के परिचालन और प्रबंधन के लिए कंपनी से सात वर्षो का करार किया था। लेकिन बदले में एरिक्सन को आरकॉम की तरफ से अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया। पिछले वर्ष सितंबर में एरिक्सन ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ में याचिका दायर कर आरकॉम की बिक्री के जरिये उसका बकाया वापस दिलाने की गुजारिश की।