विश्वबैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग यानी कारोबारी सुगमता में भारत ने पिछले साल के मुकाबले 23 पायदान की ऊंची छलांग लगाई है. इस रैंकिंग में भारत अब 77वें स्थान पर पहुंच गया है. विश्वबैंक की यह रैंकिंग बुधवार को जारी की गई. माना जा रहा है कि इससे भारत को अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. लेकिन इसी बीच कोर सेक्टर यानी बुनियादी क्षेत्र की धीमी रफ्तार ने सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है.
कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट के चलते आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर सितंबर में गिरकर 4.3 प्रतिशत रह गई. यह चार महीने का न्यूनतम स्तर है. इससे पहले मई, 2018 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही थी जबकि एक साल पहले इसी माह में इन उद्योगों की वृद्धि 4.7 प्रतिशत रही थी.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन अवधि में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पादन क्रमश: 4.2 प्रतिशत और 1.8 प्रतिशत घटा है. सितंबर महीने में उवर्रक, सीमेंट और बिजली उत्पादन में क्रमश: 2.5 प्रतिशत, 11.8 प्रतिशत और 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई. बुनियादी उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली उत्पादन को रखा गया है.
हालांकि, कोयला, रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात क्षेत्रों की वृद्धि दर घटकर क्रमश: 6.4 प्रतिशत, 2.5 प्रतिशत और 3.2 प्रतिशत रह गई. अप्रैल-सितंबर 2018 की छह माह की अवधि के दौरान आठ प्रमुख उद्योगों की औसत वृद्धि दर बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गई. एक साल पहले की इस अवधि में यह आंकड़ा 3.2 प्रतिशत था. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इन आठ क्षेत्रों का हिस्सा 40.27 प्रतिशत है.
इन आंकड़ों पर उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि प्रमुख उद्योगों के प्रदर्शन में सुस्ती से औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ेगा. उसने कहा, “रुपये में गिरावट और आयात शुल्क अधिक होना आईआईपी में गिरावट का कारण हो सकती है. इससे उत्पादन लागत पर असर पड़ेगा और उत्पादन में कमी आएगी.”
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार
बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई दिवाला निपटान प्रक्रिया, जीएसटी जैसे कर क्षेत्र के सुधार और अर्थव्यवस्था के कुछ अन्य क्षेत्रों में सुधार से भारत कारोबार सुगमता के क्षेत्र में अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार कर पाया है. पिछले साल विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 100वें स्थान पर पहुंचा था. वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी तब भारत कारोबार सुगमता के मामले में 190देशों की सूची में 142वें स्थान पर था. चार साल में भारत ने 65 पायदान की छलांग लगाई है. नरेंद्र मोदी सरकार के लिए नई रैंकिंग राहत दिलाने वाली है. अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले सरकार को विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
विश्व बैंक की कारोबार सुगमता पर 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कारोबार शुरू करने और उसमें सुगमता से संबंधित दस मानदंडों में से छह में भारत की स्थिति सुधरी है. इनमें कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली की सुविधा प्राप्त करना, कर्ज प्राप्त करना, करों का भुगतान, सीमापार व्यापार, अनुबंधों को लागू करना और दिवाला प्रक्रिया जैसे उपाय शामिल है. कारोबार सुगमता रैंकिंग में न्यूजीलैंड शीर्ष पर है. उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, डेनमार्क और हांगकांग का नंबर आता है. सूची में अमेरिका आठवें, चीन 46वें और पाकिस्तान 136वें स्थान पर है.