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धनतेरस आज, इस शुभ मुहूर्त पर करें विधि विधान से पूजा, होगा धन लाभ

दीपावली के पांच दिनों का पर्व आज (5 नवंबर) यानि धनतेरस से शुरू हो गया है. दीपावली के पर्व की शुरूआत धनतेरस के दिन से दिए जलाकर शुरू किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे दीपावली का प्रारंभ माना जाता है. धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा-अर्चना को विशेष महत्त्व दिया जाता है. इस दिन को धनवंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है

कब होता है धनतेर
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन की देवी के उत्सव का प्रारंभ होने के कारण इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. धनतेरस पर पांच देवताओं, भगवान श्रीगणेश, मां लक्ष्मी, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा होती है. ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ही समुन्‍द्र मंथन के दौरान धनवन्‍तरी अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे. आयुर्वेद के साथ प्रकट होने के कारण उन्हें औषधी का जनक भी कहा जाता है.

दिये जलाना माना जाता है शुभ
धनतेरस के दिन से दीये जलाना शुरू कर दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे दिवाली का प्रारंभ माना जाता है. इस साल धनतेरस का पर्व आकाश मंडल के बारहवें नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी के साये तले मनाया जाएगा, जिसके स्वामी सूर्यदेव हैं. यही वजह है कि इस बार धनतेरस धन के साथ ही इस बार धनतेरस का पर्व प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य और आनंद लेकर आया है.

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धनतेरस 2018 शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा-अर्चना को विशेष महत्व दिया जाता है. इस बार पूजा का मुहूर्त वृष लगन में शाम 6:57 से रात 8:49 बजे तक है. शाम के अतिरिक्त अगर आप दोपहर में खरीददारी करना चाहते हैं, तो दोपहर  01:00 से 02:30 बजे तक और फिर शाम रात 05:35 से 07:30 बजे तक भी शुभ मुहूर्त है. 

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धनतेरस पूजन विधि 
प्रातः उठकर सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद खुद भी स्नान आदि कर पवित्र होकर पूजन का संकल्प लें. शाम के समय भगवान धनवंतरी की पूजा के लिए उनकी तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. फिर जल लेकर तीन बार आचमन करें और सभी प्रतिमाओं पर जल छिड़कें. भगवान का टीका करें और वस्त्र अर्पित करें. भगवान के मंत्रो का जाप करते हुए उन्हें प्रणाम करें और भगवान को पुष्प अर्पित करें. साथ ही घर के लिए जो चीजें खरीदी हैं उनकी भी पूजा करें. इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें और घर के बाहर, दुकान आदि में तेरह दीपक जलाएं.

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