चीनी कंपनियां और फंड्स भारतीय स्टार्टअप्स में भरपूर निवेश कर रहे हैं। अमेरिका से आने वाले निवेश की गति धीमी होने के मद्देनजर चीनी निवेश खासकर उपयोगी साबित हो रहे हैं।
टेक वर्ल्ड की दिग्गज चीनी कंपनी पेइचिंग मिन्टेनो कम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी ने मीडिया.नेट को करीब 6 हजार करोड़ रुपये में खरीदा। यह टेक्नॉलजी स्टार्टअप स्पेस में इस साल की सबसे बड़ी खरीद है। मीडिया.नेट भाविन और दिव्यांक तुरखिया बंधुओं द्वारा स्थापित मुंबई की डायरेक्टी की सहायक कंपनी थी।
ईकॉमर्स की दिग्गज चीनी कंपनी अलिबाबा ने भी भारतीय कंपनियों पेटीएम और स्नैपडील में बड़े निवेश किए। चीन में ऊबर की प्रतिद्वंद्वी कंपनी दीदी चुक्सिंग ने भारतीय कंपनी ओला में निवेश किया है। वहीं, बड़ी इंटरनेट कंपनी टेंसेंट ने हाल ही में मेसेजिंग ऐप हाइक में 175 मिलियन डॉलर फंडिंग की।
इससे पहले टेंसेंट ने हेल्थकेयर सलूशंज फर्म प्रैक्टो में करीब 90 मिलियन डॉलर (करीब 613 करोड़ रुपये) निवेश किया था। उसने दक्षिण अफ्रीकी कंपनी नैस्पर्स के साथ जॉइंट वेंचर के जरिए ऑनलाइन ट्रैवल फर्म इबिबो ग्रुप में भी फंडिंग की थी। इधर, क्लीन मास्टर जैसे प्रॉडक्ट वाली चीनी कंपनी चीता मोबाइल ने हाल ही में फिटनेस ऐप जीओक्यूआईआई में निवेश किया।
पिछले महीने मेकमाइट्रिप में विलय हुई कंपनी इबिबो के संस्थापक ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच जनसांख्यिकीय समानताएं हैं और दोनों देशों को डिजिटल कंपनियों के ग्राहकों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसलिए, चीनी कंपनियां महज वित्तीय निवेश की बजाय बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।’