“सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अब कई क्षेत्रों में आधार कार्ड की मांग पर प्रतिबंध, जानें इससे क्या बदलाव होंगे और इसका सामाजिक प्रभाव क्या होगा।”
नई दिल्ली। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आधार कार्ड के उपयोग को लेकर एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले के अनुसार, अब कई सरकारी और निजी संस्थाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को सीमित किया गया है। यह निर्णय नागरिकों के निजता के अधिकारों की सुरक्षा और उनके व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कोर्ट का निर्णय: आधार का उपयोग सीमित
सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत, अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), और कई निजी कंपनियों को आधार कार्ड की मांग करने की अनुमति नहीं होगी। स्कूलों को भी छात्रों से आधार कार्ड की मांग नहीं की जा सकेगी। यह कदम नागरिकों के निजता के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया है।
निर्णय के प्रमुख बिंदु:
- आधार का उपयोग सीमित: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड अब केवल उम्र निर्धारण या पहचान स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
- निजी कंपनियों पर रोक: अब निजी कंपनियाँ आधार कार्ड की मांग नहीं कर सकतीं, जिससे उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा बढ़ेगी।
- बायोमीट्रिक डेटा: आधार का बायोमीट्रिक डेटा अब केवल सुरक्षा मामलों में सरकारी एजेंसियों द्वारा मांगा जा सकता है।
- संविधानिक वैधता: आधार अधिनियम की धारा 57 को समाप्त कर दिया गया है, जिससे इसे निजी कंपनियों द्वारा अनिवार्य रूप से मांगे जाने से रोका गया है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ: अब शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।
निर्णय का सामाजिक प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन नागरिकों के लिए राहत का कारण बनेगा, जो आधार कार्ड को लेकर चिंतित थे। इससे यह सुनिश्चित होता है कि नागरिकों की पहचान सुरक्षित रहेगी और उनकी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग नहीं होगा। इसके अलावा, यह निर्णय खासतौर पर उन गरीब और वंचित वर्गों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी पहचान स्थापित करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।
निजता का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को भी इस फैसले में महत्वपूर्ण माना है। न्यायालय ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी पहचान और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने का अधिकार है। यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) के तहत आता है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को उसके व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप से बचाया जाना चाहिए।
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सरकारी योजनाओं पर प्रभाव
इस फैसले का सीधा प्रभाव कई सरकारी योजनाओं पर पड़ेगा, जिनमें आधार कार्ड की अनिवार्यता थी। अब इन योजनाओं में बदलाव किया जाएगा ताकि लोग बिना आधार कार्ड के भी इनका लाभ उठा सकें। इनमें जन धन योजना, पीएम आवास योजना, और खाद्य सुरक्षा योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं।
शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव
शिक्षा क्षेत्र में भी यह फैसला महत्वपूर्ण है। पहले कई स्कूलों ने छात्रों से आधार कार्ड की मांग की थी, जिससे कुछ बच्चे शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते थे। अब इस फैसले के बाद स्कूलों को छात्रों से आधार कार्ड की मांग करने की अनुमति नहीं होगी, जिससे सभी बच्चों को समान अवसर मिलेंगे।
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