अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भारत को सकल घरेलू विकास (जीडीपी) की ऊंची दर रफ्तार बनाए रखने के लिए तीन उपाय सुझाए हैं। आइएमएफ के मुताबिक इनमें बैंकिंग सेक्टर में सुधार, राजकोषीय घाटे को काबू में रखना और निचले स्तर पर लाना और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को और सरल बनाना तथा प्रमुख बाजारों में सुधार पर प्रमुखता से फोकस करना शामिल हैं।
आइएमएफ के कम्यूनिकेशंस डायरेक्टर गेरी राइस ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2018) में भारत की जीडीपी विकास दर 7.7 फीसद रही। वहीं, उससे पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर सात फीसद रही थी। राइस ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भी ऊंची विकास दर जारी रहने की पूरी उम्मीद है।
गौरतलब है कि भारत पर चर्चा के लिए आइएमएफ के निदेशक बोर्ड की बैठक 18 जुलाई को होने की संभावना है। राइस ने कहा कि बैठक के दौरान जारी स्टाफ रिपोर्ट में जीएसटी के बारे में विस्तार से उल्लेख किया जाएगा। वहीं, आइएमएफ का बोर्ड 16 जुलाई को ग्लोबल इकोनॉमी आउटलुक जारी करेगा। राइस के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर 7.4 फीसद, जबकि अगले वित्त वर्ष में यह 7.8 फीसद रह सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत को बैंकिंग सेक्टर में सुधार की बड़ी जरूरत है। इसके तहत सार्वजनिक बैंकों की सफाई, उनमें कॉरपोरेट गवर्नेस को मजबूती देने, उनकी कर्ज गुणवत्ता में सुधार और कर्ज बंटवारे में दक्षता लानी होगी।
आइएमएफ के मुताबिक भारत को राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के प्रयास लगातार जारी रखने होंगे और सार्वजनिक कर्ज के ऊंचे स्तर को नीचे लाना होगा। राइस ने कहा कि इसके साथ ही भारत को पिछले वर्ष लांच किए गए जीएसटी को ज्यादा सरल और सहज बनाने होंगे। उन्होंने कहा, ‘तीसरा काम यह करना होगा कि प्रमुख भूमि और श्रम जैसे मुद्दों पर मध्यम अवधि में सुधार के उपायों पर जोर देना होगा। इसके साथ ही स्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए सकल कारोबारी वातावरण को भी बेहतर बनाना होगा।