“आशीष पटेल, अपना दल (एस) के नेता, योगी आदित्यनाथ के मुखर आलोचक बनकर उभरे हैं। बीजेपी की चुप्पी और विधायकों में असंतोष के बीच, क्या आशीष पटेल पार्टी के भीतर बढ़ती असहमति का चेहरा बन सकते हैं? जानें यूपी की राजनीति के नए समीकरण।”
विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों आशीष पटेल सुर्खियों में हैं। अपना दल (एस) के नेता और पूर्व मंत्री आशीष पटेल, जो मौजूदा समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं, लगातार अपनी ही सरकार और अधिकारियों पर तीखे हमले कर रहे हैं। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि बीजेपी का कोई भी नेता, मंत्री या प्रवक्ता उनके खिलाफ खुलकर सामने नहीं आया।
इस स्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या बीजेपी के अंदर योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर असंतोष बढ़ रहा है?
- क्या आशीष पटेल उस असंतोष की आवाज बन गए हैं, जिसे बीजेपी के नेता और विधायक खुलकर व्यक्त नहीं कर पा रहे?
- क्या बीजेपी नेतृत्व ने जानबूझकर आशीष पटेल के बयानों को नजरअंदाज किया है, क्योंकि वे अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के हित में काम कर रहे हैं?
आइए, इन सवालों के जवाब तलाशते हैं और समझते हैं कि आशीष पटेल के बयानों और बीजेपी की चुप्पी के पीछे क्या कारण हो सकते हैं।
आशीष पटेल के आरोप: योगी सरकार पर सीधा हमला
आशीष पटेल ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके करीबी अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने विशेष रूप से मुख्यमंत्री के अधीन काम करने वाले सूचना विभाग, एसटीएफ, और अन्य शीर्ष अधिकारियों पर निशाना साधा।
सूचना विभाग पर आरोप:
आशीष पटेल ने कहा कि योगी सरकार का सूचना विभाग 1,700 करोड़ रुपये के बजट का दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विभाग बीजेपी के अपने ही मंत्रियों और नेताओं के चरित्र हनन में लगा हुआ है।
एसटीएफ पर निशाना:
पटेल ने एसटीएफ को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे उनके सीने में गोली मारें। यह बयान न केवल एसटीएफ बल्कि योगी सरकार के गृह विभाग पर भी सवाल खड़ा करता है, क्योंकि गृह मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री के पास है।
योगी के करीबी अधिकारियों पर हमला:
आशीष पटेल ने सूचना निदेशक शिशिर सिंह, मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार, और एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यश पर गंभीर आरोप लगाए। ये तीनों अधिकारी योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी माने जाते हैं।
बीजेपी की चुप्पी और नेताओं की प्रतिक्रिया
आशीष पटेल के इन बयानों के बाद भी बीजेपी का कोई भी नेता उनकी आलोचना करता नजर नहीं आया। पार्टी का यह रवैया बेहद असामान्य है, क्योंकि आमतौर पर पार्टी अपने सहयोगियों की ओर से आने वाले ऐसे बयानों पर तुरंत प्रतिक्रिया देती है।
आशीष पटेल को अंदरूनी समर्थन?
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के कई विधायक और नेता आशीष पटेल के इस रवैये से भीतर ही भीतर खुश हैं। उनकी मुखरता उन बातों को सामने ला रही है, जिन्हें पार्टी के नेता संगठनात्मक मजबूरियों के कारण खुलकर नहीं कह पा रहे।
बीजेपी विधायकों और नेताओं का असंतोष
योगी सरकार की कार्यशैली और अफसरशाही के रवैये को लेकर बीजेपी के कई विधायक और नेता लगातार असंतोष जाहिर कर चुके हैं।
आशीष पटेल (अपना दल)
उन्होंने कहा: “योगी सरकार ओबीसी समुदाय की उपेक्षा कर रही है। हमें उचित प्रतिनिधित्व और अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं।”
- उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां ओबीसी वर्ग के खिलाफ हैं और उन्हें हाशिए पर रखा जा रहा है।
राम शरण वर्मा
उन्होंने कहा: “योगी सरकार में ओबीसी वर्ग के लिए कोई ठोस योजनाएं नहीं हैं। केवल वादे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।”
योगेश वर्मा
उनका बयान: “ओबीसी नेताओं और समुदाय के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। यह सरकार हमारी उपेक्षा कर रही है।”
नंद किशोर गुर्जर
उन्होंने कहा: “योगी सरकार केवल दिखावा करती है। ओबीसी वर्ग के विकास के लिए कुछ नहीं किया गया है।”
इन बयानों से स्पष्ट है कि ये नेता योगी आदित्यनाथ की नीतियों से असंतुष्ट हैं और ओबीसी समुदाय के साथ हो रहे व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं।
नंदकिशोर गुर्जर (लोनी, गाजियाबाद):
- गुर्जर ने आरोप लगाया कि योगी सरकार के दौर में रोजाना 50,000 गायों का अवैध कटान हो रहा है।
- उन्होंने गाजियाबाद की महिला महामंत्री के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना में पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए।
- गुस्से में उन्होंने कहा कि अगर यह किसी और की सरकार होती, तो वे मुख्यमंत्री के घर में भूसा भर देते।
रमेश मिश्रा (बदलापुर, जौनपुर):
- लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद मिश्रा ने योगी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
- उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही हाल रहा तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है।
- इसके बाद उनकी सुरक्षा हटा ली गई, जो बाद में विरोध के चलते बहाल हुई।
योगेश वर्मा (लखीमपुर खीरी):
- वर्मा को थप्पड़ मारने वाले आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में छह दिन लग गए।
- इससे आहत होकर वर्मा ने कहा कि उन्हें विधानसभा जाने में शर्म आती है।
केंद्रीय नेतृत्व की चिंताएं
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी गई रिपोर्ट में योगी सरकार की कार्यशैली को हार का मुख्य कारण बताया गया।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- सरकार की अफसरशाही बेलगाम है।
- खुद बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही।
- सूचना विभाग पार्टी के नेताओं के मान-मर्दन में लगा हुआ है।
केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक की असहमति:
- डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सार्वजनिक रूप से कहा कि “संगठन सरकार से बड़ा है।”
- उनकी यह टिप्पणी योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में हुई और कार्यकर्ताओं ने तालियां बजाकर इसे समर्थन दिया।
- डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी योगी की कार्यशैली से असंतुष्ट बताए जाते हैं।
आशीष पटेल की लोकप्रियता और भविष्य
- बीजेपी के अंदर बढ़ता समर्थन:
- आशीष पटेल के बयानों ने बीजेपी के असंतुष्ट विधायकों और नेताओं को अप्रत्यक्ष रूप से एक मंच दिया है।
- उनकी मुखरता ने उन मुद्दों को उजागर किया है, जो पार्टी के भीतर लंबे समय से दबे हुए थे।
- कई नेता अब उन्हें एक ‘अंदरूनी आवाज’ के रूप में देख रहे हैं।
क्या आशीष पटेल बीजेपी के लिए नए समीकरण बन सकते हैं?
आशीष पटेल के बयानों पर पार्टी की चुप्पी इस बात का संकेत हो सकती है कि केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर कुछ बदलाव की योजना बना रहा है।
आशीष पटेल ने अपने बयानों से यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया है। उनकी मुखरता ने योगी सरकार की कार्यशैली और बीजेपी के भीतर गहराते असंतोष को उजागर किया है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस स्थिति से कैसे निपटती है और क्या आशीष पटेल यूपी बीजेपी के भीतर एक नई भूमिका निभाने के लिए उभरते हैं। इससे यह भी स्पष्ट होगा कि पार्टी के भीतर चल रही यह असहमति विधानसभा चुनावों में किस रूप में सामने आएगी।