जिंदगी की जद्दोजहद में हम जब हार जाते हैं…निराश हो जाते हैं.. तो बस एक ही उपाय हमारे सामने आता है आत्महत्या करना. खुद को मार देना. सारे झंझटों को हमेशा के लिए खत्म कर देना. दिल्ली की रहने वाली नीरू (काल्पनिक नाम) भी कुछ दिनों से काफी परेशान थी. कई बार उसने परिस्थितियों से समझौता करने की कोशिश की लेकिन हमेशा हार गई. जिंदगी जीने की ललक अब पूरी तरह खत्म हो चुकी थी. सुबह से लेकर शाम तक एक घुटन थी, एक टीस थी जो उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी.
दहेज जुटाने में शादी की उम्र निकल गई. 40 की उम्र में लोगों के ताने सुनना बड़ा चुभता था. सबसे बड़ी बात है कि लोगों का कहना-सुनना तो फिर भी एक बार बर्दाश्त हो जाता है लेकिन वही ताने अगर घर के लोग भी मारने लगे तो दिल को ज्यादा चोट पहुंचती है. अब घरवालों पर रिश्तेदार दबाव बना रहे थे कि अब पहले छोटे भाई की शादी कर दो, बेटी के चक्कर में बैठे रहोगे तो ये भी कुवांरा ही रह जाएगा.
नीरू इन रोज़-रोज़ की बातों से परेशान हो गई थी. उसने ऑफिस आना भी कम कर दिया था. लेकिन कहते हैं ना जब जिंदगी दांव पर लगी हो तो फिर कोई चीज अज़ीज नहीं होती. बस कुछ वैसा ही था. उसने कई बार दिल को समझाने की कोशिश की. अब वक्त बदल गया है. समाज में महिलाओं की स्थिति पहले से बेहतर हो गई है. और फिर ‘मुझमें किस बात की कमी है. पढ़ी-लिखी हूं. सुंदर हूं. शादी नहीं भी हुई तो क्या, अकेले रह सकती हूं. आजकल काफी लड़कियां अकेले भी रहती हैं.’
लेकिन इतना सोचने के बावजूद कहीं ना कहीं कुछ खालीपन तो था जो कचोट रहा था. नीरू को कई बार लगा कि मुंह खोल कर बोल दे , ‘पहले मेरी शादी करो बाद में भाई की करना. दूसरे घर की बहू पता नहीं कैसी होगी. मुझे मेरे ही घर में रहने भी देगी या नहीं. और हमारा समाज भी तो यही कहता है, पहले बेटी की शादी हो. लेकिन एक लड़की होने के एहसास और शर्म ने मेरे शब्दों को खामोश कर दिया.’ खैर, मां-बांप ने भी रिश्तेदारों की बात मानकर छोटे बेटे की शादी कर दी.
नीरू ने बड़े मन से बहू का घर में स्वागत किया. और लोगों के कहने पर अपनी शादी के लिए बॉयो डाटा कई एजेंसियों पर भी डाल दिया. कई लड़कों के रिश्ते आए. कोई अकेले मिलने के लिए बुलाता. तो कोई साइट पर शादी के बॉयो डाटा को सेक्स का आमंत्रण समझ लेता. और उधर घर में बेटे और मां-बाप के बीच पैसे को लेकर शुरू हुए कलह के बीच नीरू की नौकरी चली गई.
भाई ने भी साफ तौर पर कह दिया कि वो बहन का बोझ नहीं उठा पाएगा. अपनी आगे की जिंदगी देखेगा या फिर इस बुढ़िया होती बहन को संभालेगा.
वहीं, नीरू की एक लड़के से शादी की बात चली तो उसने भी शर्त रख दी कि पहले अकेले कमरे में मिलने आओ, फिर देखते हैं हमारा रिश्ता कितना चल पाएगा. नीरू बेहद परेशान थी. क्या करे??? क्या वाकई पुरुषों की मानसिकता सेक्स से शुरू होती है और वहीं खत्म, नहीं ऐसा नहीं हो सकता कई अच्छे लड़के भी होते हैं. लेकिन वो कहां होते हैं, कैसे होते हैं पता नहीं.
उस दिन भी नीरू जब मुझसे (नीरू की सहेली) मिली तो वो काफी परेशान नजर आ रही थी. उसने सारी बातें मुझे बताई. उसके माथे पर पड़ते बल शब्दों से कहानियां लिख रहे थे. मैनें उससे कहा, जिंदगी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं इतनी जल्दी हारना नहीं चाहिए. तुम्हें सब कुछ भूलकर अपने काम पर फोकस करना चाहिए.
नीरू ने कहा, तुम नहीं समझोगी. बोलना आसान होता है लेकिन जो उस दर्द से होकर गुजरता वही उस पीड़ा को समझ सकता है. ये कहते ही वो दीवार की ओट लेकर फफक कर रोने लगी. और धीरे से बोली…’मन तो करता है सुसाइड कर लूं’
मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की मरना बहुत आसान होता है जिंदगी को जी कर देखो असली मजा तो तभी है. लेकिन सच कहूं तो मैं भी कहीं ना कहीं नीरू की इस बात से डर गई थी अगर वाकई उसने ऐसा कर लिया तो क्या होगा. क्योंकि जब कई परेशानी दिल और दिमाग को अपने कब्जे में ले लेती है तो आपके पास होता है. शून्य….एक सन्नाटा. जिससे उबर पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती.
मुझे समझ नहीं आ रहा था. क्या करूं. नीरू को कैसे समझाऊं. मैंने उसे बस इतना ही कहा, अगर तुम्हें कभी भी आत्महत्या करने का मन करे तो बस इतना ही करना गूगल पर जाकर सुसाइड लिख देना.
मेरी बात सुनकर नीरू भी हैरान थी. उसने कष्ट के समय एक दूसरे को सांत्वना देते तो सुना था…दुख दर्द बांटते तो सुना था….अपनी कसमें देते तो सुना था. लेकिन गूगल पर जाकर सुसाइड लिख देना ये वाकई एक नया अनुभव था.
फिर एक सुबह नीरू का फोन आया. वो इस बार हमेशा की तरह रुआंसी नहीं थी. उसके शब्दों में एक चहक थी.
उसने कहा, क्या हुआ जो नौकरी चली गई…भाई ने खर्चा उठाने से मना कर दिया….भाभी ने ताने मानकर जीना बेहाल कर दिया. वो अब मरेगी नहीं. ये जिंदगी उसकी है जैसा मन होगा वैसे जियेगी. ऐसा अचानक कैसे हो गया. गूगूल पर ऐसा क्या था जिसने नीरू जैसी कई लोगों के मरने के फैसले को जीने में बदल दिया.
जी हां, अगर आप भी अपनी जिंदगी से निराश हैं….कुछ अच्छा नहीं लगता….अकेलापन कचोटता है…खुदकुशी करने का ख्याल आता है. तो
गूगल पर एक बार सुसाइड टाइप करके देखें. एक नंबर आपकी स्क्रीन पर आएगा. 022 2754 6669 इस नंबर को डॉयल करें. ये आसरा का नंबर आपकी जिंदगी और अकेलेपन को आसरा देगा जिसकी आपको जरूरत है.
इस नंबर पर बात करके आप अपनी भड़ास निकाल सकते हैं. ‘आसरा’ के लोग आपका दुख दर्द बांटकर आपकी सोच को एक सकारात्मक सोच देगें और यकीकन आप भी नीरू की तरह जिंदगी को जीना सीख जाएंगे.