शिमला। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने कहा है कि हमारे लोकतंत्र के तीन स्तम्भों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कार्यपालिका व विधानपालिका के समक्ष गरीबी मिटाने की है क्योंकि देश की अधिकतर सम्पत्ति चुनिंदा लोगों के पास है, जबकि अधिकांश लोग अभाव में अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह के मौके पर आज न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गरीबों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है लेकिन जबकि अमीर और अधिक सम्पन्न हो रहे हैं। एक ओर जहां आर्थिक उन्नति हो रही है, वहीं स्वच्छ पेयजल, मूलभूत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, शिक्षा और लोगो को रोजगार जैसे मुद्दे विधानपालिका व कार्यपालिका के समक्ष कड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं।लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तीव्र व निष्पक्ष न्याय का सपना आज भी दूर है, जिसके कारणों की खोज करना आवश्यक है। जहां देश विकास के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है, ऐसे में न्यायिक प्रणाली में सुधार की भी नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमें विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता की प्रक्रिया को महत्व देना होगा जैसा कि अन्य कई राष्ट्रों में व्यवस्था है, जिन्होंने दीवानी मामलों में मध्यस्थता को अनिवार्य बनाया है।न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि भारत ने अपनी आजादी के बाद योजनाबद्ध विकास, उदारवाद, पुनर्निर्माण, कर, बैंकिंग, टेलीकाॅम, कारपोरेट व अप्रत्यक्ष कर सुधारों से विश्व में अलग पहचान बनाई है। आज देश में 700 मिलियन स्मार्ट फोन, 332 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता हैं और आधार कार्ड विश्व की सबसे बड़ी डिजिटल अधोसरंचना है। इसके साथ ही सभी प्रकार की अदायगियों के लिए एकीकृत आॅनलाइन प्रणाली देश की विकास की गाथा को प्रस्तुत करती है। लेकिन दूसरी ओर भूमि सुधार का कार्य वर्ष 1950 से लंबित पड़ा है।उन्होंने कहा कि हमारी जनसंख्या का मात्र दो प्रतिशत ही कठिन परिश्रम कर रहा है, नौकरयों के साधन सीमित हैं तथा नई तकनीकों के समावेश, औद्योगिकरण व उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिलने से कृषि उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हिमाचल प्रदेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक शांत राज्य हैं जहां के लोग स्वाभिमान से जी रहे हंै और सभी के लिए आदर भाव रखते हैं। यह सुखद् है कि प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव और कानून व्यवस्था की समस्या भी कभी पैदा नहीं हुई है। इससे पहले उन्होंने डिग्री व स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों को बधाई दी। न्यायामूर्ति टी.एस. ठाकुर ने उन्हें डाॅक्टर आॅफ लाॅ की मानद उपाधि प्रदान करने के लिए प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का आभार व्यक्त किया।कब्जा हटाने का मुआवजा देगी। यदि नहीं तो जिला प्रशासन की अक्षमता तथा सरकारी धन की बंदरबांट की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।