लखनऊ। सिगरेट के सेवन के कारण महिलाओं में भी फेफड़े का कैंसर अधिक बढ़ रहा है। वैसे तो भारत के पुरुषों में फेफडे़ का कैंसर आम है परन्तु वर्तमान में यह कैंसर महिलाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है।भारतीय को-आॅपरेटिव आॅनकोलाॅजी नेटवर्क, मुम्बई के प्रमुख डाॅ पुर्विश पारीख ने शुक्रवार को कमांड हास्पिटल में ‘फेफड़ा कैंसर’ विषय पर आयोजित सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में बताया कि धूम्रपान करने वालों में फेफड़े के कैंसर कारण बीस गुना अधिक होता है। फेफड़े के कैंसर (टीबी) की पहचान खांसी, पेट दर्द, भूख न लगना एवं साॅंस फूलना है। सीने का एक्स-रे होने पर इसकी पहचान की जा सकती है। फेफड़े के कैंसर की पहचान होने पर मरीज को मेडिकल चिकित्सा की सलाह दी जाती है जिससे यह शरीर के अन्य हिस्सों में न फैल सके। शुरूआती दौर में इसका इलाज आसान होता है परन्तु अंतिम दौर में पहुॅंचने पर इसका इलाज कठिन हो जाता है और पीड़ित मरीज अधिकतम छह महीने सेे एक वर्ष तक जीवित रह सकता है। फेफड़े के कैंसर में शुरूआती तौर पर सर्जरी एवं रेडियोथेरेपी होती है जबकि देर होने पर कीमोथेरेपी के माध्यम से इसका इलाज किया जाता है।
इस अवसर पर सेना चिकित्सा कोर केन्द्र एवं काॅलेज के सेनानायक एवं एएमसी अभिलेख प्रमुख ले0 जनरल एमडी वैंकटेश मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस दौरान चिकित्सा विषेशज्ञों ने फेफड़ा कैंसर थेरेपी एवं रेडियोथेरेपी की चुनौतियों सहित चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।