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श्रीलंका में राष्ट्रपति ने भंग की संसद, पांच जनवरी को होगा चुनाव

श्रीलंका में जारी सियासी संकट के बीच राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना ने शुक्रवार को संसद भंग कर दी। अब पांच जनवरी को दोबारा संसद गठन के लिए चुनाव होंगे। जिसके बाद 17 जनवरी से नई संसद कार्य शुरू कर देगी। हालांकि विशेषज्ञों ने इससे सियासी संकट के और बढ़ने की संभावना जताई है। 

सिरिसेना ने अपने करीबी रोहना लक्ष्मण पियदासा की तरफ से ऐसे कयासों को खारिज किए जाने के कुछ घंटे बाद ही संसद भंग करने का निर्णय लेकर सभी को चौंका दिया। सिरिसेना की सत्तारूढ़ श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के महासचिव पियदासा ने कहा था कि देश में जारी सियासी उथल-पथल को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति ने फिलहाल चुनाव या जनमत संग्रह नहीं कराने का फैसला किया है।

सरकारी टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सिरिसेना ने शुक्रवार को 225 सदस्यों वाली संसद के अगस्त 2020 तक के कार्यकाल को बीच में खत्म करने वाली अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जो शुक्रवार को आधी रात से लागू हो जाएगी।

संविधान विशेषज्ञों ने इससे देश में संकट बढ़ने के आसार जताए

बता दें कि सिरिसेना ने पिछले महीने अचानक रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करते हुए पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। राष्ट्रपति ने संसद को भी 14 नवंबर तक के लिए भंग कर दिया था। हालांकि विक्रमसिंघे संविधान के तहत राष्ट्रपति के पास इसका अधिकार नहीं होने के चलते बर्खास्तगी को अवैध बताते हुए संसद में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर रहे थे।

तभी से देश में सियासी संकट चल रहा था। सोमवार को संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या ने कहा था कि प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को असंवैधानिक तरीके से बर्खास्त किया गया है और वह राजपक्षे को फ्लोर टेस्ट में बहुमत सिद्ध करने से पहले नए प्रधानमंत्री के तौर पर मान्यता नहीं देंगे। उन्होंने14 नवंबर को फ्लोर टेस्ट के लिए संसद का सत्र बुलाए जाने की मांग सिरिसेना से की थी।

श्रीलंका में राजनीतिक संकट खत्म हो : ईयू

इस बीच, यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने श्रीलंका में मौजूदा संकट को खत्म करने की मांग की है। ईयू से पहले अमेरिका और भारत समेत कई मुल्कों ने श्रीलंका में दो सप्ताह से जारी संकट पर चिंता जता चुके हैं। शुक्रवार को ईयू ने कहा कि दुनिया में श्रीलंका की एक पहचान और उसकी साख है। श्रीलंका के मौजूदा हालात का विदेशी निवेश पर पड़ेगा। इसलिए मौजूदा राजनीतिक संकट जल्द से जल्द समाप्त होना चाहिए।
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