लखनऊ। हाल ही में बसपा से बागी हुए स्वामी प्रसाद मौर्या ने शुक्रवार को अपने समर्थकों के समक्ष बसपा सुप्रीमों मायावती पर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने मायावती को ‘गद्दार’ से लेकर ‘विजय माल्या’ तक की संज्ञा से नवाजा। उनके परिवार पर फर्जी कम्पनियों को चलाने का आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया कि मायावती बताये कि उनके पास इतना पैसा कहां से आया और इसके लिए वह एक श्वेत पत्र जारी करें। राजधानी के गोमती नगर स्थित एक बडे़ स्कूल के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में बसपा से अलग हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या लगभग डेढ़ घंटे तक मायावती पर बरसते रहें। उन्होंने कहा कि जीवनभर साफ सुथरी राजनीति की है मेरे राजनीतिक कैरियर पर आज तक किसी ने उंगली नहीं उठाई है। सत्ता पक्ष में रहते हुए विपक्ष की भी हिम्मत नहीं हुई उंगली उठाने की। इसी तरह नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहकर सत्ता पक्ष को अच्छी तरह से नचाना जानता हूं। जीवन में कभी पैसा नहीं कमाया, कभी घोटाला नहीं किया, जो कमाया है, वह आज बड़ी संख्या में एकत्रित भीड़ है। स्वामी प्रसाद ने कहा कि मायावती का आरोप है कि परिवार के लिए टिकट की मांग कर रहा था। यदि मेरे कहने पर टिकट देती तो मेरा टिकट न कटता। पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि गत 14 अप्रैल को मायावती ने उनसे टिकट के लिए अतिरिक्त पैसे की मांग की थी, लेकिन जब मैने कहा कि मै पैसा नहीं दे सकता हूं मेरी करोड़ दो करो़ड़ की हैसियत नहीं है,केवल कार्यालय के मेंटीनेंस के लिए पैसा दे सकता हूं तो उन्होंने मेरा टिकट भी काट दिया और कहा कि आज के बाद अपनी विधानसभा क्षेत्र पडरौना नहीं जाओगे। यहां तक कि किसी भी अनुसूचित जाति अथवा पार्टी के सम्मेलन में नहीं जाओगे। मायावती सोच रही थी कि दूसरे बसपा नेताओं की तरह मैं भी चुप रहूंगा लेकिन मैं चुप रहने वाला नहीं हूं। स्वामी ने सवाल किया कि मायावती के पास इतना पैसा कहां से आता है, वह लोगों को गुमराह करती हैं कि यह कार्यकर्ताओं का पैसा है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। पहले वह अपने परिवार के बारे में लोगों को बताये कि उनके पास कम्पनियों के माध्यम से दो हजार करोड़ रुपये की अदला बदली कैसे हुई। उन्होंने कहा कि मेरा तो मानना है कि वह कभी भी विजय माल्या की तरह देश छोड़कर विदेश भाग जाएगीं। स्वामी ने यूपी से लेकर दूसरे राज्यों का वोट प्रतिशत और विधायकों की संख्या कम होने के आंकडे़ गिनाते हुए कहा कि मान्यवर कांशीराम के समय वोटों का जो प्रतिशत था, वह मायावती के पार्टी की कमान संभालने के बाद गिरता गया ।