आज दुनियाभर में लगभग 5 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त है। सिर्फ भारत में ही लगभग 1 करोड़ के करीब लोग इस बीमारी को झेल रहे हैं। पूर्ण जानकारी ना होने के अभाव में यह रोग बढ़ता जा रहा है। लेकिन अब इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज वीडियो के जरिए मुमकिन हो गया है और इस तरह से इलाज कारगर भी साबित हो रहा है। मिर्गी आने पर मरीज का बनाया वीडियो मरीज की बीमारी को ज्यादा बेहतर तरीके से चिकित्सक के सामने रखने में मदद करेगा। इससे डाक्टरों को रोगी की बीमारी की सही जानकारी मिलेगी जो परिजनों द्वारा नहीं मिल पाती थी। वीडियो के द्वारा मरीज की दशा समझकर इलाज तेजी से शुरू हो जाता है। इस स्टडी रिपोर्ट्स का खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूरोलॉजी की विभाग में हुआ है। संस्थान ने यह स्टडी उन मरीजों पर की हैं जो दवा लेने के बावजूद भी ठीक नहीं हो रहे थे। ऐसे मरीजों को संस्थान के चिकित्सकों ने घर पर दौरा पड़ने के दौरान उनका वीडियो बनाने को कहा। करीब 340 मरीजों में से 312 मरीजों के परिजनों ने दौरा पड़ने के दौरान मरीज का होम वीडियो बनाया। इसके बाद इन वीडियो के मरीज के परिजनों द्वारा दी गई जानकारी से तुलना की गई तो मरीज की बीमारी को ठीक ढंग से समझने में वीडियो ज्यादा कारगर साबित हुई। वीडियो के जरिए बीमारी की एक्यूरेसी 0.92 पाई गई जबकि केस हिस्ट्री के आधार पर बीमारी की एक्यूरेसी 0.75 पाई गई थी। एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रो. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि होम वीडियो की मदद से मरीज की बीमारी की स्थिति को ठीक ढंग से समझा जा सकता है और इलाज भी आसान हो जाता है। बहुत सारे लोग मिर्गी का दौरा पड़ने पर नाक पर जूता सुंघाने लगते हैं। लेकिन प्रोफेसर मंजरी त्रिपाठी कहती है कि मरीज को दौरा पड़ने पर कभी भी उसे जूता नहीं सुंघाना चाहिए। और ना ही उसके मुंह में चम्मच या लकड़ी डालना चाहिए। ऐसा करने से मरीज की जान भी जा सकती है। दौरे के दौरान मरीज की नाक में पाइप की जरिए अथवा मुंह में बकल के जरिए दवा दी जाती है। अथवा जीभ पर दवा की गोली रखी जाती है। यदि दवा नहीं है तो मरीज को एक करवट लेटा दीजिए, ताकि मुंह से निकलने वाला झाग अंदर जाने की बजाए बाहर गिरे।