Monday , April 28 2025

राज्यों से

अपनों से मिली बेरुखी, गैरों ने संवारी सूरत, दामन में छिपे हैं कई ऐतिहासिक पल

विश्व गणतंत्र की जननी वैशाली अपने इतिहास के उज्जवल धरोहर को अपनी आगोश में छिपाए आज भी सिसक रही है। विकास के नाम पर यहां के लोगों को दंश के सिवा कुछ नहीं मिला। हर मामले में पिछड़ा यह इलाका आज भी सर्वांगिण विकास की बाट जोह रहा है। वैशाली में बैठ कर यह कल्पना करना भी कठिन जान पड़ता है कि ढाई हजार वर्ष पूर्व पहले यह नगरी संपन्न और प्रभावशाली गणराज्य की राजधानी थी। 23 अप्रैल 1956 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के वैशाली में कहे गए शब्द यहां के आम लोगों की जिंदगी को देखकर ही कहे गए थे। भारत सरकार एवं बिहार सरकार के मंत्रियों द्वारा कितनी घोषणाएं की गयी अब यहां के लोग भूल गए हैं। उपेक्षा का दंश झेल रही वैशाली आज भी मजदूरों के पलायन, शिक्षा की बद से बदतर स्थिति, सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव, स्वास्थ्य व शुद्ध पेयजल के लिए मुहताज है। उद्योग के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। इसे वैशाली का दुर्भाग्य कहें या यहां के लिच्छवियों के पतन की अंतिम कहानी। बिहार के विकास में मददगार बनेगा जापान, पर्यटन को देगा बढ़ावा यह भी पढ़ें विश्व को गणतंत्र देने वाली वैशाली का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक इतिहास और भी पुराना है। स्वयं नारायण ने बामण अवतार लेकर राजा बली से तीन पग भूमि यहीं मांगी थी। स्वयंवर में भाग लेने जनकपुर जाने के क्रम में भगवान राम अपने गुरु विश्वामित्र एवं अनुज लक्ष्मण के साथ यहां वैशाली का आतिथ्य स्वीकार किया था। यहीं अलार कलाम के आश्रम में भगवान बुद्ध ने सांख्य दर्शन की शिक्षा पाई थी। राजधानी पटना में शराब के साथ दो चीनी नागरिक गिरफ्तार, सात हिरासत में यह भी पढ़ें विदेशियों ने वैशाली को संवारा यहां अब तक हुए विकास में विदेशियों का योगदान कहीं अधिक है। बौद्ध देश जापान के सहयोग से यहां भव्य शांति स्तूप का निर्माण हुआ। कई देशों की भक्त मॉनेस्ट्री वैशाली के सौंदर्य को बढ़ाने का काम किया। रैलिक स्तूप, सुंदर उद्यान जहां विदेशी सहयोग से फलीभूत हुआ। वहीं जैन संप्रदाय के लोगों ने उनकी जन्मस्थली बासोकुंड में भव्य मंदिर एवं मूर्ति का निर्माण कराया। उद्धारक की बाट जोह रहे ऐतिहासिक स्थल वैशाली की राजनर्तकी आम्रपाली का गांव अंबारा, बावन पोखर, सूफी संत मिलन साह का मजार, चौमुखी महादेव, अलार कलाम का आश्रम, जंगली मठ, विमलकृति सरोवर ऐसे दर्जनों ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। इन स्थलों का हाल देखकर वे सरकार और उसकी व्यवस्था को कोसते हुए चले जाते हैं।

विश्व गणतंत्र की जननी वैशाली अपने इतिहास के उज्जवल धरोहर को अपनी आगोश में छिपाए आज भी सिसक रही है। विकास के नाम पर यहां के लोगों को दंश के सिवा कुछ नहीं मिला। हर मामले में पिछड़ा यह इलाका आज भी सर्वांगिण विकास की बाट जोह रहा है। वैशाली …

Read More »

EXCLUSIVE : भय्यू महाराज मामला , विवादित जमीन के सौदागर भी थे सेवादार!

भय्यू महाराज (उदयसिंह देशमुख) आत्महत्या केस में नई जानकारी सामने आई है। जो सेवादार, कंस्ट्रक्शन व्यवसायी महाराज को बार-बार कॉल कर रहे थे उनकी भूमिका संदिग्ध है। कुछ पर जमीन और स्टांप हेराफेरी का शक है, जिसकी डीजीपी द्वारा गोपनीय जांच करवाई जा रही है। 50 वर्षीय भय्यू महाराज की आत्महत्या के पीछे पुलिस ने भले ही पारिवारिक कलह बताई हो लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और ही कथा छुपी हुई है। जानकार बताते हैं कि भय्यू महाराज के कुछ करीबी रियल इस्टेट और जमीनों की खरीद-फरोख्त करने लगे थे। वे उनसे जुड़े बड़े कारोबारियों को भी विवादित जमीनों को सस्ती बताकर सौदा करवा देते थे। कुछ समय पूर्व उनके कहने पर मुंबई की चिटफंड कारोबारी (महिला) ने भी बैतूल में करोड़ों रुपए कीमती जमीन खरीदी थी। बताते हैं कि सौदे में कंस्ट्रक्शन व्यवसायी मनमीतसिंह अरोरा (सिल्वर स्प्रिंग), सेवादार अमोल चौहान (पुणे) आदि की अहम भूमिका रही है। महिला का आरोप है कि इस जमीन की रजिस्ट्री में स्टांप की हेराफेरी की गई। जैसे ही महिला कारोबारी को इसका पता चला उसने कर्मचारी विलास आर. रासम निवासी कल्पना हनुमान मंदिर के पास सोपरा गांव ठाणे (महाराष्ट्र) के जरिए सभी के खिलाफ डीपीजी ऋषिकुमार शुक्ला को शिकायत करवा दी। शिकायत में कहा गया कि घोटाले में संगठित गिरोह का हाथ है। मामला हाईप्रोफाइल होने पर डीजीपी ने टीम गठित की और शिकायत (167/17) पंजीबद्ध कर ली। घोटाले की जांच सीबीआई से लौटे निरीक्षक को सौंपी गई। निरीक्षक ने शिकायतकर्ता और आरोपितों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया। बताया यह भी जाता है कि उक्त महिला कारोबारी के करोड़ों रुपए विदेश में फंसे हुए थे। भय्यू महाराज ने यह राशि वसूलने के लिए भी महिला की मदद की थी। मनमीत अरोरा और अमोल से हो रही थी लंबी बातचीत - पुलिस ने पहले परिवार के सदस्यों और कुछ सेवादारों के बयान लेकर मामले से पल्ला झाड़ लिया था। नईदुनिया ने संदेहियों की कॉल डिटेल और उनके बीच हुई बातचीत का खुलासा किया और बताया कि मनमीत अरोरा व अमोल चौहान घटना के दो दिन पूर्व से लगातार कॉल कर रहे थे। भय्यू महाराज इनसे हुई बातचीत के बाद तनाव में आ जाते थे। वह कभी वॉशरूम तो कभी बंद कार में बात करते थे। सीएसपी ने प्रमुख संदेही मनमीत अरोरा, अमोल चौहान से पूछताछ की। सीएसपी के मुताबिक जमीनों में हुए निवेश की जानकारी मिली है। संदेहियों से दोबारा पूछताछ कर ली जाएगी। कभी नहीं किए व्यावसायिक सौदे - राजा बड़जात्या के मुताबिक उनका मुख्य काम वकालत है। उनकी सूर्योदय (आश्रम) और महाराज के प्रति आस्था है। उन्होंने महाराज से कभी व्यावसायिक सौदे नहीं किए। जो जानकारी पता थी वह पुलिस को बता दी। पुलिस जांच पर विश्वास है। सेवादारों ने छुपा लिया महा'राज - पुलिस ने भी मान लिया पुलिस ने राजा बड़जात्या, अमोल चौहान और मनमीत अरोरा से पूछताछ की तो उन्होंने कुहू (बेटी) और डॉ. आयुषी (पत्नी) के बीच चल रही लड़ाई ही मुख्य वजह बताई और जमीनों में किए निवेश व मुंबई की महिला कारोबारी के संपर्क सूत्रों को छुपा लिया। जांच अधिकारी सीएसपी मनोज रत्नाकर ने फौरी तौर पर बयान लिए। भय्यू महाराज की सास रानी शर्मा के मुताबिक पारिवारिक झगड़ा तो सेवादार और पुलिस की उपज है। भय्यू महाराज का डॉ. आयुषी से बेहद लगाव था। वह उसके कारण आत्महत्या नहीं कर सकते। कुछ वजह है जो उनसे भी छुपाई जा रही है। रानी ने मामले की जांच कर संदेहियों पर कार्रवाई की मांग की है।

भय्यू महाराज (उदयसिंह देशमुख) आत्महत्या केस में नई जानकारी सामने आई है। जो सेवादार, कंस्ट्रक्शन व्यवसायी महाराज को बार-बार कॉल कर रहे थे उनकी भूमिका संदिग्ध है। कुछ पर जमीन और स्टांप हेराफेरी का शक है, जिसकी डीजीपी द्वारा गोपनीय जांच करवाई जा रही है। 50 वर्षीय भय्यू महाराज की …

Read More »

उत्तराखंड के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब इस तरह होंगे रोशन, जानिए

प्रदेश के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इतना ही नहीं भारी-भरकम बिलों का भुगतान नहीं होने से विद्यालयों में अंधेरा भी नहीं पसरेगा। विद्यालयों से व्यावसायिक दरों के बजाय घरेलू दरों पर बिजली के बिल लिए जाएंगे। इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। राज्य में अभी भी तकरीबन तीन हजार स्कूलों में बिजली नहीं है। इसके अलावा विद्यालयों से वर्तमान में व्यावसायिक दर से बिजली बिल की वसूली की जा रही है। बिलों के भुगतान की राशि न होने के कारण बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय भी हैं, जिनके कनेक्शन कटे हुए हैं। ऐसे में विद्यालयों का अंधेरा दूर करने के लिए शिक्षा महकमा अब नई योजना पर काम कर रहा है। गुरुवार को ननूरखेड़ा स्थित राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में आयोजित समीक्षा बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने इसे लेकर सभी जनपदों से रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि समस्त तोक प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना से आच्छादित किए जा रहे हैं। इसके बावजूद जो स्कूल छूट जाएंगे वहां सौर ऊर्जा से विद्युत व्यवस्था की जाएगी। जानिए लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने क्या कहा छात्र-छात्राओं से यह भी पढ़ें उरेडा ने प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय भवनों और शिक्षा विभाग के कार्यालयों की छत पर एक केवी से दस केवी तक सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव भी महकमे को दिया है। जहां बिल बकाया होने के कारण कनेक्शन कटा हुआ है, उसका भी ब्योरा जुटाया जा रहा है। यहां जल्द विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी। विद्युत टैरिफ पर निर्णय लेने का अधिकार क्योंकि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को है। महकमे की ओर से प्रस्ताव तैयार कर आयोग को भेजा जाएगा ताकि स्कूलों को घरेलू रेट पर बिजली मिल सके।

प्रदेश के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इतना ही नहीं भारी-भरकम बिलों का भुगतान नहीं होने से विद्यालयों में अंधेरा भी नहीं पसरेगा। विद्यालयों से व्यावसायिक दरों के बजाय घरेलू दरों पर बिजली के बिल लिए जाएंगे। इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।  …

Read More »

बेहतर प्लेसमेंट के कारण चंडीगढ़ युवाओं की पहली पसंद,पर एडमिशन की डगर मुश्किल

डॉ. सुमित सिंह श्योराण/राजेश मलकानियां/रोहित कुमार]। पंजाब यूनिवर्सिटी और शहर के कॉलेजों में दाखिले की दौड़ शुरु हो चुकी है। पंसद के कॉलेज और स्ट्रीम में दाखिले के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 23 जून हैं। सीटों के मुकाबले आवेदन की संख्या कई गुणा होने से कम मेरिट वाले स्टूडेंट्स के लिए दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी। पीयू और कॉलेजों में दाखिले में सबसे अधिक दिक्कत ट्राईसिटी से पंचकूला और मोहाली के स्कूलों से 12वीं पास करने वाले स्टूडेट्स को होगी। मोहाली और पंचकूला से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने पर चंडीगढ़ के कॉलेज और पंजाब यूनिवर्सिटी ही पहली प्राथमिकता रहती है। लेकिन मोहाली और पंचकूला के स्टूडेंट्स को जनरल कोटे के तहत ही दाखिला मिलेगा। जनरल कोटे के तहत पीयू और कॉलेजों में सिर्फ मोहाली और पंचकूला के स्टूडेंट्स के लिए 15 फीसद सीटें ही रिजर्व होती हैं। दैनिक जागरण ने सप्ताह के मुद्दे के तहत कॉलेज और पीयू में दाखिले की दिक्कतों को समझा। चंडीगढ़ से डिग्री तो बेहतर करियर की उम्मीद एनसीसी, एनएसएस व यूथ फेस्ट की वेटेज दिलाएगी दाखिले की मेरिट लिस्ट में जगह यह भी पढ़ें स्कूल लेवल की पढ़ाई के लिए पंचकूला और मोहाली में अच्छे स्कूल हैं। हर साल सीबीएसई 10वीं और 12वीं में यहांं के स्कूलों के स्टूडेंट्स का शानदार रिजल्ट रहता है। 2018 में भी सीबीएसई,नीट और एम्स में पंचकूला के स्टूडेंट्स ही टॉपर रहे हैं। लेकिन, हायर एजुकेशन के लिए मोहाली और पंचूकला में कोई भी उच्च स्तर की यूनिवर्सिटी और कॉलेज नहीं है। जिस कारण यहां के स्टूडेंट्स पंजाब यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ के कॉलेजों में ही दाखिले को तव्वजो देते हैं। जॉब प्लेसमेंट की बात करें तो पीयू के यूबीएस, यूआइईटी, यूआइसीईटी और पेक जैसे संस्थानों से डिग्री के बाद 45 लाख तक सालाना पैकेज स्टूडेंट्स को मिलता है। स्कूलों की दादागीरी, दुकानों की भागीदारी : सेट ही खरीदना होगा, एक किताब या स्टेशनरी नहीं मिलेगी यह भी पढ़ें बीकॉम में दाखिला नहीं है आसान पीयू और शहर के कॉलेजों में बीकॉम में दाखिले के लिए सबसे अधिक मारामारी रहती है। 11 कॉलेजों में बीकॉम की 2300 सीटों के लिए 8 हजार से अधिक आवेदन आते हैं। इन सीटों में सिर्फ 15 फीसद सीटें ही चंडीगढ़ से बाहर के स्टूडेंट्स के लिए होती हैं। मोहाली और पंचकूला के स्कूलों से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भी 15 फीसद कोटे में गिना जाता है। बीकॉम में जनरल कोटे के तहत 90 फीसद से अधिक कट ऑफ रहता है। 35 हजार से अधिक आवेदन चंडीगढ़ के 11 प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में विभिन्न कोर्स में दाखिले के लिए 23 जून आवेदन की अंतिम तिथि है। अभी तक 35 हजार से अधिक आवेदन करीब 23 हजार सीटों के लिए आ चुके हैं। शहर के कॉलेजों में प्रोफेशनल ही नहीं बीए जैसे कोर्स में भी दाखिले के लिए खासी मारामारी है। जनरल कोटे के तहत जीसीजी-11 जैसे कॉलेजों में 85 फीसद कट ऑफ रहता है। शहर के प्राइवेट कॉलेजों की बात करें तो एसडी-32 कॉलजे, एमसीएम-36 कालेज,डीएवी कॉलेज-10 और सरकारी कालेजों में जीसी-11, जीसीजी-11,जीसीजी-42,जीसी-46 और सेक्टर-50 स्थित कॉमर्स कॉलेज में दाखिले के लिए खूब मारामारी रहती है। चंडीगढ़ में बेहतर पढ़ाई और इंफ्रास्ट्रक्चर चंडीगढ़ के कॉलेज और यूनिवर्सिटी नार्थ रीजन ही नहीं देशभर के युवाओं की पहली पसंद है। स्मार्ट सिटी के कॉलेजों का बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर है। यहां के सरकारी कॉलेजों में भी देश के अन्य प्राइवेट इंस्टीट्यूट से बेहतर सुविधाएं हैं। प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों की फीस लगभग एक समाना है। जबकि चंडीगढ़ के पेरीफेरी में पढऩे वाली यूनिवर्सिटी की फीस पीयू और कालेजों से कई गुणा अधिक है। देश भर की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में रैंकिंग भी काफी अच्छी है। इन कोर्स के लिए अधिक मारामारी, सीटों से कई गुणा आवेदन वैसे तो पंजाब यूनिवर्सिटी के किसी भी कोर्स में दाखिले के लिए कट ऑफ काफी अधिक रहती है। लेकिन पीयू के कुछ कोर्स के लिए सीटों के मुकाबले कई गुणा अधिक आवेदन आते हैं। पीयू स्थित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज (यूआईएलएस) में पांच वर्षीय लॉ कोर्स की 240 सीटों के लिए 4034 स्टूडेंट्स ने आवेदन किया है। पीयू एमए इकोनॉमिक्स (इंटिग्रेटेड कोर्स ) पांच वर्षीय, तीन वर्षीय लॉ, एमए इंग्लिश के अलावा बीएससी केमिस्ट्री, एमएससी जूलोजी जैसे कोर्स में दाखिले के लिए सबसे अधिक कंपीटीशन रहता है। इंजीनियरिंग कोर्स के लिए यूआइईटी (640 सीटें), यूआइसीईटी (240सीटें) पहली पसंद हैं। पंचकूला में सिर्फ दो कॉलेज, यूनिवर्सिटी की मांग पंचकूला के युवाओं के लिए हायर एजुकेशन के बहुत अधिक विकल्प नहीं है। जिस कारण उन्हें चंडीगढ़ या दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। पंचकूला शहर में सिर्फ दो कॉलेज हैं। जिसमें सेक्टर 1 में पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज (कोएड) और 14 में गर्ल्स महाविद्यालय है। कालका और बरवाला में भी एक गवर्नमेंट कॉलेज है। काफी समय से पंचकूला में यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर मांग उठती रही है, लेकिन सरकार की ओर से इस मामले में जमीनी स्तर पर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। मजबूरी में लेना पड़ता है दाखिला पंजाबी यूनिवर्सिटी नजदीक होने के चलते छात्र सबसे पहले चंडीगढ़ दाखिला लेने की कोशिश करते हैं, परंतु जब वहां सीट नहीं मिलती तो वापस पंचकूला का रुख कर लेते हैं। ज्यादातर छात्र बारहवीं कक्षा चंडीगढ़ से ही करते हैं, ताकि चंडीगढ़ के कॉलेजों में दाखिला मिलना आसान हो जाए। चंडीगढ़ से 12वीं करने वाले स्टूडेंट्स को पीयू और कॉलेजों में 85 फीसद रिजर्वेशन मिलता है। कॉलेजों में आवेदन का अंतिम दिन पंचकूला जिले के चारों कॉलेजों में डिग्री लेवल कोर्स के लिए ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 22 जून की रात 12 बजे तक विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। स्टूडेंट्स घर बैठे भी ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं, तो वह हरियाणा हायर एजुकेशन की वेबसाइट की मदद से एडमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। कॉलेजों में एडमिशन एक जुलाई से शुरू हो जाएंगे। जिले के चारों कॉलेजों में बीकॉम की 1040 और बीए की 1320 सीटें है। घर बैठे भी कॉलेजों में एडमिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। एक जुलाई को पहली लिस्ट जारी होगी। मोहाली के एक मात्र कॉलेज को पीयू से जोडऩे का प्रयास जिला मोहाली में दो सरकारी कॉलेज हैं। एजुकेशन हब के तौर पर उभर रहे मोहाली में कई निजी विश्वविद्यालय और कॉलेज तो हैं, लेकिन अगर सरकारी कॉलेजों की बात की जाए तो डेराबस्सी व मोहाली में सिर्फ एक एक कॉलेज है। मोहाली के स्टूडेंट्स की प्राथमिकता भी चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी और कॉलेज में दाखिला रहता है। चंडीगढ़ में दाखिला नहीं मिलने पर ही स्टूडेंट मोहाली और डेराबस्सी के कॉलेज में दाखिले को प्राथमिकता देते हैं। पीयू से एफिलिएशन की हो रही मांग मोहाली स्थित सरकारी कॉलेजों को पीयू से एफिलिएशन की लंबे समय से मांग की जा रही है। इस संबंध में पंजाब सरकार को भी लिखा जा चुका है। कॉलेज की कुल स्टूडेंट्स की संख्या 1704 है, लेकिन स्टूडेंट्स से लेकर कॉलेज फैकल्टी तक चाहते है कि कॉलेज को पीयू से मान्यता मिल जाए। इसको लेकर मुख्यमंत्री तक को दो माह पहले ज्ञापन तक दिया जा चुका है। कॉलेज में एडमिशन का प्रोसेस पिछले तीन साल से ऑन लाइन ही किया जा रहा है। मोहाली सरकारी कॉलेज में एमए पंजाबी शुरू किया जा रहा है। चंडीगढ़ कॉलेजों के मुकाबले यहां पर स्ट्रीम चुनने (विषय) के लिए स्टूडेंट्स के पास काफी कम विकल्प हैं। इस कारण भी मोहाली के स्टूडेंट्स चंडीगढ़ के कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं। ये होती है स्टूडेंट्स को दिक्कतें कॉलेज प्रबंधन के अनुसार कॉलेज में आने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स ग्रामीण क्षेत्रों से है। उन्हें हर छोटे से छोटे काम के लिए पटियाला जाना पड़ता है। क्योंकि कॉलेज पटियाला यूनिवर्सिटी के साथ अटैच है। कॉलेज पीयू के साथ अटैच न होने के कारण स्टूडेंट्स चंडीगढ़ की ओर ज्यादा रूख करते है। जिसके चलते स्टूडेंट्स की संख्या पर भी असर पड़ता है। इस लिए कॉलेज प्रबंधन चाहता है कि जल्द से जल्द पीयू से मान्यता मिल जाए। क्या कहना है प्रिंसिपल का कॉलेज की प्रिंसिपल कोमल बरोका ने कहा कि मुख्यंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भरोसा मिला है कि कॉलेज को पीयू से जोड़ दिया जाएगा। हम चाहते है कि ऐसा हो जाएगा। अगर ऐसा हो गया तो चंडीगढ के कॉलेजों से बेहतर कॉलेज साबित होगा। कोमल ने कहा कि पशु पालन मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को भी कॉलेज के पटियाला यूनिवर्सिटी के साथ अटैच होने के कारण हो रही समस्याओं के बारे में बता दिया गया है। इस लिए प्रबंधन का प्रयास है कि इस साल पीयू से मान्यता मिल जाए।

डॉ. सुमित सिंह श्योराण/राजेश मलकानियां/रोहित कुमार]। पंजाब यूनिवर्सिटी और शहर के कॉलेजों में दाखिले की दौड़ शुरु हो चुकी है। पंसद के कॉलेज और स्ट्रीम में दाखिले के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 23 जून हैं। सीटों के मुकाबले आवेदन की संख्या कई गुणा होने से कम मेरिट वाले स्टूडेंट्स …

Read More »

बाबा हरदेव निरंकारी की बेटी का सनसनीखेज आरोप, पति ने की हजारों करोड़ की ठगी

दो साल पहले कनाडा में हुए सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह के कुनबे में घमासान मचा हुआ है। हरदेव सिंह की बड़ी बेटी समता ने अपने पति संदीप खिंड़ा पर 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी का आरोप लगाया है। समता का कहना है कि इसके लिए उनके डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया। समता ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई है। हरदेव सिंह की 13 मई 2016 को कनाड़ा में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। यह इत्तेफाक ही है कि उस वक्त संदीप उनके साथ कार में ही था। जानकारी के मुताबिक, संदीप खिंड़ा बाबा हरदेव सिंह के बड़े दामाद हैं, बावजूद इसके निरंकारी मिशन की एग्जीक्यूटिव बॉडी में भी अब संदीप खिंडा का कोई स्थान नहीं है। वहीं, समता की पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, उन्होंने अपने पति संदीप खिंड़ा और वरुण और सूरज पर इतनी बड़ा रकम की ठगी करने का आरोप लगाया है। समता का कहना है कि इसके लिए पति संदीप ने डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया। समता ने बताया कि उन्होंने डिजिटल सिग्नेचर के लिए कभी एप्लाई ही नहीं किया था और कंपनी ने उनके डिजिटल सिग्नेचर बना दिए। जानें- TV पर लोकप्रिय वह चेहरा जिस पर उसकी ही शिष्या ने लगाया दुष्कर्म का आरोप यह भी पढ़ें पुलिस को दी गई शिकायत के बाद दर्ज एफआइआर में संदीप, उसके पिता बलदेव सिंह, जालंधर के कुलविंदर सिंह, दिल्ली के रहने वाले कंपनी सेक्रेटरी अनुज गुप्ता, गुड़गांव निवासी कंपनी सेक्रेटरी रासू शर्मा, सिफी टेक्नोलॉजी लिमिटेड के चेयरमैन, कंपनी के कर्मचारी आलोक सक्सेना और हिमांशु कपूर का नाम हैं। यह है समता का आरोप बेटी की अस्मत का 'गुनहगार' निकला पति, जांबाज महिला के इस फैसले से हर कोई हैरान यह भी पढ़ें पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, पति संदीप ने जैन फ्लोरीकल्चर लिमिटेड (जेएफएल) नाम की एक कंपनी खरीदी थी, इसमें मुझसे करोड़ों रुपये निवेश करवाए। समता का आरोप है कि कंपनी में 100 फीसदी शेयर मेरे थे। बावजूद इसके संदीप ने उनके फर्जी डिजिटल सिग्नेचर से इन्हें अपने नाम करवा लिया। वहीं, समता ने डिजिटल सिग्नेचर वेरीफाई करने वाली कंपनी सिफी टेक्नोलॉजी पर भी मामला दर्ज कराया है। 13 मई, 2016 को संत निरंकारी मंडल के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह की अमेरिका के न्यूयार्क से कनाडा के मॉन्टि्रयल शहर जाने के दौरान सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। बाबा अपने दोनों दामाद संदीप खिडा व अवनीत सेतिया के अलावा विवेक शर्मा के साथ कार से एक भक्त से मिलने जा रहे थे। मॉन्टि्रयल से करीब 40 किमी पहले टायर फटने से उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और अस्पताल में इलाज के दौरान निरंकारी बाबा का निधन हो गया। सविंदर कौर से की थी शादी बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के संत निरंकारी कॉलोनी में रोसरी स्कूल और फिर पटियाला के एक बोर्डिंग स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी। 1980 में पिता की मौत के बाद उन्हें निरंकारी मंडल का मुखिया बनाया गया था। इसके पूर्व वह 1971 में निरंकारी सेवा दल में शामिल हुए थे। 1975 में उन्होंने फर्रुखाबाद की सविंदर कौर से शादी की थी। 1929 में निरंकारी मिशन की हुई स्थापना संत निरंकारी मिशन की 1929 में स्थापना हुई थी। इस मिशन की 27 देशों में 100 शाखाएं चल रही हैं। भारत में भी तकरीबन हर राज्यों में लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं। बाबा हरदेव सिंह को विश्व में मानवता की शांति के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ भी सम्मानित कर चुका है। निरंकारी मंडल की ओर से बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है। इसमें भारत समेत दुनिया भर के लाखों भक्त भाग लेते हैं।

दो साल पहले कनाडा में हुए सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह के कुनबे में घमासान मचा हुआ है। हरदेव सिंह की बड़ी बेटी समता ने अपने पति संदीप खिंड़ा पर 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी का आरोप लगाया है। समता का कहना …

Read More »

कश्मीर में बंधक बनाकर यूपी के नौजवानों से कराई गई पत्थरबाजी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को बढिय़ा रोजगार देने के नाम पर कश्मीर में पत्थरबाजी कराई गई है। कश्मीर में पत्थरबाजी का उत्तर प्रदेश से कनेक्शन सामने आया है। रोजगार की तलाश में पुलवामा गए प्रदेश के बागपत व सहारनपुर के कुछ नौजवानों ने उनसे पत्थरबाजी में शामिल होने के दबाव बनाने का आरोप लगाया है। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने यहां बताया कि सहारनपुर और बागपत जिलों के रहने वाले छह लड़के सिलाई का काम करने के लिए पुलवामा गे थे। उन्हें वहां 20 हजार रुपये प्रति माह वेतन पर काम करने के लिए रखा गया था, लेकिन उनका आरोप है कि उनसे वहां पत्थरबाजी का काम भी लिया जाता था। काम के बाद थके लोगों को जब पत्थरबाजी करने को कहा जाता था तो यह लोग मजबूरी में पत्थरबाजी भी करते थे। अगर न करते तो इन लोगों को पगार नहीं मिलती थी। इसके बाद इस काम से त्रस्त होकर यह सभी लोग अपने घर लौट आए। डीजीपी ने कहा कि युवा अपने साथ सिलाई की डिजायन भी लेकर आए हैं। ऐसे में हम इसे बहुत विवेकपूर्ण तरीके से देखेंगे और इसमें एटीएस जांच करेगी। उत्तर प्रदेश में जन्माष्टमी पर आजमगढ़ समेत कई जगह बवाल यह भी पढ़ें पुलवामा से लौटकर आए बागपत निवासी एक युवक ने दावा किया है कि उसे तथा कुछ अन्य लड़कों को 20 हजार रुपये प्रतिमाह पर सिलाई का काम कराने के लिए बुलाया गया था। कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, मगर बाद में दूसरे कामों में लगा दिया गया। हमसे पथराव भी कराया जाता था। एसएसबी परीक्षा देने से रोकने पर पथराव, आगजनी यह भी पढ़ें बागपत के पुलिस अधीक्षक जय प्रकाश ने बताया कि पुलवामा से लौटकर आए एक अन्य युवक ने पूछताछ में बताया है कि उन्हें फैक्ट्री में रखा गया था। एक बार वहां कोई घटना हुई तो वहां काम कर रहे मजदूर पत्थरबाजी में शामिल हो गए थे। उनसे भी ऐसा करने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया और वहां से भाग आए। सहारनपुर के एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि लगभग सात-आठ युवक कश्मीर गए थे और युवकों के सभी दावों की गहराई से जांच कराई जा रही है। बागपत के रहने वाले अंकित का दावा है कि वहां पहले कुछ दिन तो सही रहा, फिर उनसे कहा जाता था कि मुंह पर कपड़ा बांध लो और सड़क पर जाकर सुरक्षा बलों पर पथराव करो। सहारनपुर के रहने वाले बबलू ने कुछ और ही दावा किया है. बबलू का कहना है कि जनवरी में वे कुछ और युवकों के साथ कश्मीर में सिलाई का काम करने वाली कंपनी में नौकरी के लिए गया. बबलू के मुताबिक एक-डेढ़ महीने तक तो सब सही रहा और उनके घर वालों के खाते में 30-30 हजार रुपये जमा भी कराए गए. लेकिन उसके बाद उनके साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया गया। उनसे बंधकों की तरह साफ-सफाई और कारों की धुलाई का काम करवाया जाने। पैसे देना भी बंद कर दिया गया। विरोध करने पर धमकी दी जाने लगी कि चोरी के आरोप में फंसा दिया जाएगा। बबलू ने पत्थरबाजी के लिए दबाव बनाने की बात को भी कहा है। ऐसा माहौल देखकर वह वहां पर अन्य लोगों के साथ मैं भी बहुत डर गया और घर वापस जाने की ठान ली। मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार, सहारनपुर के एसएसपी बबलू कुमार और बागपत के एसपी जयप्रकाश सिंह के मुताबिक कश्मीर से लौटे युवकों ने जो दावे किए हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। जांच में जो सामने आएगा, उसी के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी। कश्मीर में पत्थरबाजी से पश्चिमी यूपी के कथित कनेक्शन से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। बागपत और सहारनपुर से युवक कश्मीर के पुलवामा के लस्तीपुरा में सिलाई-कढ़ाई का काम करने गए थे। इनके मुताबिक, उनके मास्टर को 45,000 रुपये और बाकी युवकों को 20,000 रुपये महीना वेतन देना तय किया गया था। बागपत जिले की बड़ौत तहसील के गुराना रोड निवासी पीडि़त मास्टर नसीम और अंकित का दावा है कि वहां के बुरे हालात से निकलने के लिए उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से कश्मीर से निकालने के लिए मदद मांगी जिसने बदले में दस हजार रुपए की मांग की। नसीम ने अपने घर से दस हजार रूपये मंगवाये और साथियों के साथ किसी तरह घर वापस पहुंचा। नसीम और उसके साथियों का दावा है कि उन्हें कश्मीर से धमकी भरे फोन मिल रहे है। ढिकाना में ताबड़तोड़ दबिश से पहले ही अंकित फरार कश्मीर में पत्थरबाजों की कैद से छूटकर साथियों के साथ भागे बड़ौत के नसीम से पूछताछ के लिए खुफिया एजेंसियां कोतवाली में डेरा डाले हुए हैं। पूछताछ बढ़ते ही नसीम ने बयान बदलना शुरू कर दिया है। उसने खुफिया एजेंसियों को बताया कि फैक्ट्री मालिक को फंसाने के लिए यह अफवाह फैलाई गई थी कि वह उस पर सेना पर पत्थरबाजी करने का दबाव बनाता था। पुलिस ने नसीम के घर छापेमारी कर उसके पासपोर्ट आदि जब्त कर लिए हैं। तीन दिन से कोतवाली में बैठा नसीम बेहद ही शातिर नजर आ रहा है। उसने पहले बयान दिया था कि वह छह साथियों के साथ कश्मीर के पुलवामा में सिलाई का काम करने एक फैक्ट्री में गया था, लेकिन फैक्ट्री मालिक आतंकवादियों से एनकाउंटर के दौरान उनसे सेना पर पत्थरबाजी करने का दबाव बनाता था। इस बयान पर बागपत से तक हड़कंप मच गया था। नसीम के साथ उसका परिवार भी था। दो महीने तक सब ठीक चलता रहा और पैसे भी वक्त पर मिले लेकिन उसके बाद एक दिन उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जो उसने सोचा भी नहीं था। सेना एक एनकाउंटर कर रही थी, नसीम को फिरन (कश्मीरी कपड़े) पहना कर वहां भेज दिया गया और बाकी कश्मीरियों के साथ पत्थरबाजी करने को कहा गया। नसीम ने इंकार कर दिया तो उसके साथ मारपीट की गई। नसीम ने बातें अपने साथियों और परिवार को बताईं। तय हुआ कि यहां से भाग कर वापस अपने शहर पहुंचा जाए, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी पैसे की थी। नसीम के अपने परिवार से पैसे मंगाए और हवाई टिकट कराए। इसके बाद वह अपने सभी साथियों और परिवार को लेकर एयरपोर्ट पर पहुंचा। वहां से दिल्ली और फिर बड़ौत। घर पहुंच कर उसने पुलिस को पूरी बात बताई। पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग ने पूछताछ शुरू की तो वह बयान बदलने लगा। नसीम और सहारनपुर में पकड़े गए साथियों के बयान को देखकर खुफिया एजेंसियों ने बड़ौत कोतवाली में दिन भर डेरा डाले रखा और नसीम से गहनता से पूछताछ की। नसीम ने स्वयं पर शिकंजा कसते देखा तो कल उसने बयान बदलते हुए एजेंसियों के सामने दावा किया कि फैक्ट्री मालिक के मना करने के बावजूद ईद पर वह अपने साथियों के साथ घर आ गया तो फैक्ट्री मालिक ने उन पर 20 लाख रुपए का कपड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया, जिसके बाद उसने बागपत और सहारनपुर के साथियों को उस पत्थरबाजी के लिए दबाव बनाने का आरोप मढ़ दिया। नसीम के साथ कश्मीर से लौटा उसका साथी अंकित निवासी ढिकाना भी गायब हो गया है। एसपी जयप्रकाश ने बताया कि नसीम से पूछताछ जारी है। अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है। वह दो बार विदेश में काम की तलाश में गया था।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को बढिय़ा रोजगार देने के नाम पर कश्मीर में पत्थरबाजी कराई गई है। कश्मीर में पत्थरबाजी का उत्तर प्रदेश से कनेक्शन सामने आया है। रोजगार की तलाश में पुलवामा गए प्रदेश के बागपत व सहारनपुर के कुछ नौजवानों ने उनसे पत्थरबाजी में शामिल होने के …

Read More »

योग की मदद से पैरालिसिस पर पाई विजय

शाजापुर के इंश्योरेंस एजेंट यशपाल शर्मा के योग के साथ अनुभव आश्चर्यजनक हैं। 45 साल के शर्मा 2001 में हृदय विकार के शिकार हुए और दिल्ली में ऑपरेशन करवाना पड़ा। 2004 में उनके शरीर का बायां हिस्सा सुन्ना पड़ गया। देखते-देखते यह पैरालिसिस में बदल गया। उठना-बैठना भी मुश्किल हो गया। काम भी छूट गया। तीन साल में इलाज पर करीब 10 लाख रुपए खर्च हो गए, लेकिन फर्क नहीं पड़ा। बीमारी के दौरान टीवी पर योग के महत्व बारे में पता चला। बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने योग का सहारा लेने का मन बना लिया। योग के बारे में पढ़-समझ कर योग शुरू कर दिया। इससे कुछ समय में ही उन्हें लाभ दिखाई देने लगा। सालभर में पूरी तरह स्वस्थ हो गए। योग में डिप्लोमा करने के बाद अब वे लोगों को योग सिखाने का काम कर रहे हैं

शाजापुर के इंश्योरेंस एजेंट यशपाल शर्मा के योग के साथ अनुभव आश्चर्यजनक हैं। 45 साल के शर्मा 2001 में हृदय विकार के शिकार हुए और दिल्ली में ऑपरेशन करवाना पड़ा। 2004 में उनके शरीर का बायां हिस्सा सुन्ना पड़ गया। देखते-देखते यह पैरालिसिस में बदल गया। उठना-बैठना भी मुश्किल हो …

Read More »

लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने वाले सीबीआई जज के गांव जालौन में चोरी

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला के मामले में सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। मूलत: जालौन के उरई के निवासी शिवपाल सिंह के गांव में पहले रास्ते का विवाद था, अब उसके पैतृक आवास में चोरी हो गई है। जज के घर पर हुई चोरी की खबर पाकर सीओ, एसडीएम व फोरेंसिक टीम भी पहुंची। फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है। जालौन में कल रात सीबीआई जज शिवपाल सिंह के पैतृक गांव में चोरों ने करीब एक लाख रुपया के सोना-चांदी तथा 40 हजार रुपया नकद चोरी कर लिया। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में सजा सुनाने वाले सीबीआई जज शिवपाल सिंह के जालौन में पुस्तैनी घर में लाखों की चोरी हुई है। कल रात चोरों ने करीब एक लाख रुपये के सोने-चांदी के जेवरात और 40 हजार रुपये नकद पर हाथ साफ कर दिया। अब पुलिस मौके पर तफ्तीश में जुटी है। शिवपाल सिंह का घर कोतवाली जालौन के ग्राम शेखपुर खुर्द में स्थित है। मामला कोतवाली जालौन के शेखपुर खुर्द गाव का है जो झारखंड के सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश शिवपाल सिंह का पैतृक गांव है। गांव में उनके भाई रहते हैं। कल रात न्यायाधीश के भाई सुरेंद्र पाल घर के अन्य लोगो के साथ छत पर सो रहे थे। आज सुबह जब यह लोग नीचे आए तो देखा कि घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है। इसके बाद आनन-फानन में परिवार के सदस्यों ने ग्रामीणों और पुलिस को घटना की जानकारी दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी। पुलिस का कहना है कि जल्द ही मामले में खुलासा कर दिया जाएगा।

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला के मामले में सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। मूलत: जालौन के उरई के निवासी शिवपाल सिंह के गांव में पहले रास्ते का विवाद था, अब उसके पैतृक आवास में चोरी हो …

Read More »

आप विधायक पर खनन माफिया का हमला, गंभीर हालत में पीजीआइ रेफर

यहां वीरवार को दोपहर बाद अाम अादमी पार्टी के विधायक अमरजीत सिंह संदोआ पर खनन माफिया के लाेगों ने हमला कर दिया। इससे वह घायल हाे गए अौर उनकी हाले गंभीर बताई जा रही है। वह सतलुज नदी के किनारे हो रहे रेत खनन का जायजा लेने पहुंचे थे। उनको इलाज के लिए रूपनगर के सिविल अस्‍पताल ले जाया गया और वहां से चंडीगढ़ पीजीआइ रेफर कर दिया गया। इस घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। जानकारी के अनुसार, रूपनगर के आम आदमी पार्टी के विधायक अमरजीत सिंह संदोआ काे सतलुज दरिया के किनारे अवैध रेत खनन की शिकायत मिली थी। अमरजीत जिले की बाइहारा खड्ड पर पहुंचे। इस दौरान मीडियाकर्मी भी उनके साथ थे। यहां पोक मशीनों से लगातर दरिया से रेत निकाली जा रही थी। सूचना मिलने पर माफिया के लोगों ने मशीनों को वहां से हटा दिया। हमले के बाद रूपनगर के सिविल अस्‍पताल में लाए गए आप विधायक अमरजीत सिंह संदोआ। जैसे ही विधायक रेत निकासी वाले स्थान पर पहुंचे तो डंडों और तेजधार हथियारों से लैस माफिया के लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उनको उपचार के लिए तुरंत रूपनगर के सिविल अस्पताल लाया गया। बताया गया है कि हमले के दौरान एक पत्थर उनकी छाती में लगा। इससे उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई। इस दौरान मीडिया कर्मियों के कैमरे छीनने की कोशिश भी की गई। अमरजीत सिंह संदोआ को चंडीगढ़ पीजीआइ ले जाते कर्मचारी। घटना की सूचना मिलने के बाद रूपनगर के एसएसपी राज बचन सिंह संधू भी पहुंचे आैर अमरजीत सिंह संदोआ से बातचीत की। रूपनगर के सिविल अस्‍पमाल में उनका प्रारंभिेक इलाज करने के बाद हालत गंभीर होने के कारण संदोआ को चंडीगढ़ पीजीआइ रेफर क‍र दिया गया।

यहां वीरवार को दोपहर बाद अाम अादमी पार्टी के विधायक अमरजीत सिंह संदोआ पर खनन माफिया के लाेगों ने हमला कर दिया। इससे वह घायल हाे गए अौर उनकी हाले गंभीर बताई जा रही है। वह सतलुज नदी के किनारे हो रहे रेत खनन का जायजा लेने पहुंचे थे। उनको …

Read More »

प्रशांत महासागर की ऊंची लहरों से नहीं डरी वर्तिका, तारिणी पर था पूरा भरोसा

हौसले हैं बुलंद हर मुश्किल को आसां बना देंगे, छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को हिला देंगे। वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले, हम बुलंद हौसलों के दम पर आसमां को झुका देंगे। भारतीय नौसेना के सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान 'नाविका सागर परिक्रमा' को सफलता पूर्वक अंजाम देने वाली नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने कुछ इसी अंदाज में अपने विजय अभियान को बयां किया। उन्होंने बताया कि नाविका सागर परिक्रमा एक चुनौतीपूर्ण अभियान था, चूंकि आज तक किसी ने भी इस तरह का अभियान पाल नौका के जरिये पूरा नहीं किया था और वह भी सिर्फ महिलाओं के क्रू ने। वर्तिका जोशी ने बताया कि 254 दिन तक चले इस अभियान में कई विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। कई बार तो समुद्र की लहरों ने ऐसी चुनौती दी कि मन भीतर तक कांप गया। मगर, अभियान दल के पक्के इरादे और दृढ़ निश्चय ने सभी चुनौतियों को आसान बना दिया। उन्होंने बताया कि 10 दिसबंर को उन्होंने गोवा से इस अभियान की शुरुआत की थी। मगर, सबसे अधिक चुनौती प्रशांत महासागर ने दी। जब वह धरती से करीब पांच हजार किलोमीटर दूर केथोन में थे तभी एक समुद्री तूफान आ गया। केथोन को समुद्र का माउंट एवरेस्ट कहा जाता है। इस तूफान को वह पांच दिनों से समझने की कोशिश कर रहे थे। मगर आखिर एक रात को समुद्र में भयंकर तूफान आ गया। समुद्र की लहरें नौ से दस मीटर तक ऊंची उठने लगी। ऐसा लगा मानो कोई लहर इस छोटी सी नौका को अपने आगोश में ले लेगी। मगर, हमने हार नहीं मानी और समुद्र की लहरों से जूझते रहे और आखिर हम उस तूफान से निकलने में कामयाब रहे। जानिए लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने क्या कहा छात्र-छात्राओं से यह भी पढ़ें उन्होंने बताया कि उस समय उनकी टीम ने लगातार 20 से 25 घंटे तक बिना सोये इस तूफान का मुकाबला किया। उन्होंने बताया कि समुद्र हमेशा डरावना ही नहीं होता, हमारे समुद्र में कई अच्छे अनुभव भी रहे। अभियान के आखिरी चरण में तो एक समय ऐसा भी आया जब हमें समुद्र में हवा भी नहीं मिली, चूंकि यह नौका हवा से ही चलती है, इसलिए हमें कई दिन तक एक ही जगह पर रुकना भी पड़ा। मां के शब्द आते रहे याद अब स्कूलों में सुरक्षित रहेंगे बच्चे, गुड टच-बेड टच पर होगा 'तीसरी' आंख का पहरा यह भी पढ़ें लेफ्टिनेंट वर्तिका जोशी ने बताया कि जब वह अभियान पर जाने वाली थी तो ठीक पांच दिन पहले वह मां और पिता से मिलने ऋषिकेश आई थी। मगर, पता चला कि मां जॉलीग्रांट हास्पिटल में भर्ती है और वह गंभीर रूप से बीमार है। वह जब मिलने गई तो मां ने कहा कि वर्तिका तुम पीछे मुड़कर मत देखना और लक्ष्य पूरा करके ही लौटना। वर्तिका ने बताया कि 254 दिन के इस सफर में उन्हें कई बार मां की याद आई मगर, आखिर मां के वही शब्द जेहन में आ जाते और फिर सबकुछ सामान्य हो जाता। तारिणी पर था पूरा भरोसा वर्तिका जोशी ने बताया कि इस अभियान को लेकर उन्हें स्वयं तथा टीम के अलावा तारिणी नौका पर भी पूरा भरोसा था। यही वजह रही कि कई बार जटिल खराबी आने के बाद भी तारिणी ने उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी में नहीं डाला। वर्तिका ने बताया कि तारिणी को फरवरी 2017 में नौसेना में कमीशन किया गया था। जब तारिणी पर पहली लकड़ी लगाई तब से वह तारिणी को करीब से देख रही थी। इस बोट से मेरा करीबी रिश्ता बन गया था, इसलिए तारिणी की कार्यकुशलता पर उन्हें पूरा भरोसा था। वर्तिका ने बताया कि किस तरह तारिणी में सवार वह छह महिला अधिकारी ही सब कुछ थी। उन्हें स्वयं खाना बनाना होता था, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, सफाई कर्मी सहित सभी भूमिकाएं स्वयं निभानी होती थी।

हौसले हैं बुलंद हर मुश्किल को आसां बना देंगे, छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को हिला देंगे। वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले, हम बुलंद हौसलों के दम पर आसमां को झुका देंगे। भारतीय नौसेना के सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान ‘नाविका सागर परिक्रमा’ …

Read More »
E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com