तिरुवंतपुरम्। देश के समृद्ध राज्य केरल में साल 2014 में पारिवारिक अदालतों में हर घंटे करीब पांच तलाक की मांगों पर मुहर लगाई गई थी। यानी प्रतिदिन 120 तलाक हुए। यह संख्या देश के किसी भी 12 राज्यों से अधिक है। हालांकि इलिनोइस विश्वविद्यालय द्वारा संग्रहीत तलाक के वैश्विक सांख्यिकी रिकार्डों में हालांकि भारत का जिक्र नहीं है, क्योंकि देशभर के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन केरल और अन्य 11 राज्यों की अदालतों द्वारा निपटाए गए तलाक के मामलों की संख्या के आधार पर यही संकेत मिलता है कि दंपति साथ रहने के बजाय अलग होने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।
एक देश (भारत) जहां कानूनी तलाक देने में अदालत रूढि़वादी है, फिर भी तलाक के मामले अधिक प्रतीत होते हैं। लेकिन इनमें विफल शादियों का योगदान अंश मात्र ही हो सकता है, क्योंकि यातनाओं के बावजूद अधिकांश भारतीय महिलाएं पति के साथ रहती हैं।
12 राज्यों की परिवार अदालतों से इक_े किए गए आंकड़ों के आधार पर सरकार ने साल 2015 में लोकसभा में तलाक से संबधित पूछे गए प्रश्न का जवाब दिया था। लेकिन इस मामले में अन्य देशों से भारत की तुलना के लिए ये आंकड़े अपर्याप्त हैं। सरकार तलाक के आंकड़े नहीं रखती है।