नवरात्र के दिनों में गुजरात में डांडिया खेला जाता है वहीं, कोलकाता में दुर्गोत्सव की तैयारियां भी चरम पर हैं. जैसे-जैसे अष्टमी के दिन नजदीक आ रहे हैं पंडाल और माता की मूर्ति को सजाने का काम तेजी से हो रहा है.
बनावट और सजावट के लिए नए-नए प्रयोग
हर साल की तरह कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के तमाम शहरों में दुर्गा पूजा पंडालों की सजावटों के लिए कई खास प्रयोग किए जा रहे हैं. कहीं पर माता की प्रतिमा को सजाने के लिए फूलों का इस्तेमाल किया गया है.
हल्दी से सजा संतोषपुर लेक पल्ली
वहीं, कोलकाता के संतोषपुर लेक पल्ली क्षेत्र में पंडाल को सजाने के लिए फूल और पत्ती के अलावा ढेर सारी हल्दी का इस्तेमाल किया गया है. पंडाल की ज्यादातर चीजों का निर्माण हल्दी से ही किया गया है. इस पंडाल में आने वाले लोगों को न सिर्फ हल्दी की कलाकारी दिखेगी, बल्कि उसकी खुशबू को भी श्रद्धालु महसूस कर सकेंगे.
शुभ मानी जाती है हल्दी
पंडाल के संयोजकों का कहना है कि हिंदू धर्म में हल्दी का काफी महत्व माना जाता है और वह काफी शुभ होता है. हल्दी का इस्तेमाल न सिर्फ पूजा में होता है बल्कि इसके बिना कोई भी शुभ कार्य अधूरा माना जाता है. उन्होंने कहा कि हल्दी एक विष रोधक भी है, जो मन से नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने का काम करता है.
तमिलनाडु से मंगवाई गई हल्दी
इस पूजा पंडाल को तैयार करने में चार टन (4,000 किलोग्राम) शुद्ध हल्दी का इस्तेमाल किया गया है. खास बात ये है कि पंडाल को हल्दी से सजाने के लिए एक मसाला कंपनी से करार किया गया है.
सूखी और साबुत हल्दी का इस्तेमाल
पंडाल बनाने के लिए 80 फीसद सूखी-साबुत हल्दी और 20 फीसद पिसी हल्दी का प्रयोग किया गया है. यह खासतौर पर तमिलनाडु से मंगवाई गई है. पंडाल के अंदर-बाहर, सब जगह हल्दी ही हल्दी नजर आएगी. पूरा पंडाल इसकी खुशबू से महक उठेगा.
हल्दी का दोबारा हो सकेगा इस्तेमाल
पूजा कमेटी का कहना है कि दुर्गा पूजा पंडाल में इस्तेमाल हुई लगभग 30 फीसदी हल्दी को दोबारा प्रयोग में लाया जा सकेगा. पंडाल की समिति ने इसके लिए पहले से ही मसाला कंपनी से करार कर लिया है. पूजा खत्म होने के बाद कंपनी इसको जरूरतमंद लोगों को बांट दी जाएगी.