नई दिल्ली। गुजरात में दलित अत्याचार के मामले ने हिंसक रूप ले लिया है। सौराष्ट्र के कई इलाको में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई हैं। जामनगर में बीती देर रात लोगों और पुलिस में हिंसक झडपें होने का समाचार है जबकि जामनगर के शंकर टेकरी इलाके में पुलिस को हिंसक भीड़ पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस दौरान राज्य परिवहन निगम की बस पर भीड़ ने पथराव किया, जिससे बस ड्राइवर और कई यात्री घायल हो गए। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दलितों की पिटाई मामले की सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं। ऊना में दलितों द्वारा खुदकुशी की कोशिश के बाद जूनागढ़ के बांटवा में तीन दलित युवाओं ने भी सामूहिक खुदकुशी का प्रयास किया है। माणावदर सिविल अस्पताल में तीनो को भर्ती कराया गया है। हिंसक प्रदर्शन को देखते कई इलाकों में बस सेवाएं एहतियातन बंद कर दी गई। इसके अलावा अमरेली में कई रास्तों पर प्रदर्शन के दौरान टायर जलाए गए। हिंसक प्रदर्शन का सबसे ज्यादा असर राजकोट में देखने को मिला । राजकोट के धोराजी में दो सरकारी बसों को भीड़ ने आग लगा दी। इसके बाद राजकोट के बीआरटीएस ट्रैक को निशाना बनाया। हिंसक भीड़ राजकोट ग्रामीण के एसपी की गाड़ी पर पथराव कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। दलित वर्ग के लोगों ने गोंडल के डेप्युटी कलेक्टर ऑफिस में गायों के कंकाल फेंक दिये जिससे वहां के कर्मचारियों को सांस लेना मुश्किल हो गया। इसी तरह सुंदरनगर में भी करीब 250 लोगों की भीड़ ने तीन ट्रकों में मृत गायों के शव लाकर कलेक्टर के ऑफिस में फेंक दिए। यही नहीं इन लोगों ने दफ्तर के बाहर धरना-प्रदर्शन करते हुए मृत जानवरों का निपटान करने के अपने पारंपरिक काम को छोड़ने की भी धमकी दी।
दलित अत्याचार की उपरोक्त घटना को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे वर्ना लोग ना सिर्फ सड़कों पर उतरेंगे बल्कि उनका गुस्सा फूटेगा। मायावती ने दलित समुदाय से अपील की कि वो कानून हाथ में न लें। जामनगर में बीएसपी कार्यकर्ताओं द्वारा चक्का जाम की कोशिश की गई। बताया गया है कि पुलिस ने 40 लोगों को हिरासत में लिया है । अमरेली में दलितों की रैली के हिंसक होने की सूचना है जहाँ पुलिस के साथ संघर्ष और पुलिस पर पथराव में एसपी समेत कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। स्थिति तनाव पूर्ण है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।
दलित अत्याचार मामले पर हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए संवेदनशील इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है। उल्लेखनीय है कि 11 जुलाई को ऊना में चार दलितों को कार से बांधकर सरेआम पिटाई की गई थी। दलितों की पिटाई का आरोप शिवसेना कार्यकर्ताओं पर लगा था। इन दलित युवकों पर आरोप था कि ये मरे हुए पशुओं की खाल उतार रहे थे। इसके बाद ऊना में चार दलितों पर हुए अत्याचार के विरोध में एकसाथ कुछ लोगों ने सामूहिक तौर पर खुदकुशी की कोशिश की। इस घटना ने आग में घी डालने का काम किया। हालाँकि पुलिस ने दलितों की पिटाई के आरोप में 9 लोगों को गिरफ्तार किया है और राज्य सरकार ने मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी है।