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इन जिलों में लागू होगी योजना-
बुंदेलखंड व मिर्जापुर समेत कानपुर नगर, वाराणसी, मऊ, झांसी, आजमगढ़, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर, महराजगंज के 249 गांवों की सूची तैयार है।
किनवा और चिया की खेती पर हुआ है ट्रायल-
सूखाग्रस्त इलाकों में कम पानी में पोषण और औषधीय गुणों वाली चिया और किनवा की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास तेज हैं। तीन वर्ष से चयनित जिलों में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता बुंदेलखंड में सर्वाधिक रही। किनवा की उपज 6 कुंतल प्रति एकड़ मिली।
जिससे किसानों को 40 हजार रुपये की आय हुई, वह भी महज 6000 से 8000 रुपया प्रति एकड़ लागत पर। एसएलएनए द्वारा मार्केट लिंकेज की सुविधा ने किसानों के विश्वास को बढ़ाया है।
ऐसे हुआ जल-संचय का प्रयास-
बुंदेलखंड, मिर्जापुर और सूखाग्रस्त इलाकों की प्यासी धरती पर पोखरे, चैकडेम, जल-संचयन बंधी, कच्चे चैकडेम, बनाए गए है। पहली बरसात में ही ये जल-संरचनाएं भर गई हैं। स्थानीय किसानों से फीडबैक लेने के बाद सरकार ने योजना को राज्य के अन्य इलाकों में लागू करने का निर्णय लिया है।
आत्म-निर्भर बनाएगा जल-संचय-
राज्य सरकार का कहना है कि इस तरह का जल-संचयन किसानों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा। यह बुंदेलखंड व चयनित 249 गांवों के किसानों को आत्म-निर्भर बनाने का प्रयास है। साथ ही इस तरह के प्रयासों से कम पानी वाली सुपरफूड फसलें जैसे चिया, किनवा किसानों को काफी लाभ देगी।