Sunday , April 27 2025

राज्यों से

उत्तराखंड में डरा रहा मौसम, बारिश के दौरान पेड़ गिरने से युवक की मौत

उत्तराखंड में बरसात का मौसम अब लोगों को डराने लगा है। लगातार बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। वहीं, सड़कों के बंद होने का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी दी है। वहीं, बारिश के दौरान पेड़ गिरने के दौरान इसकी चपेट में आने से विकासनगर क्षेत्र में एक युवक की मौत हो गई। विकासनगर क्षेत्र के बरोटीवाला के पृथ्वीपुर खेड़ा में बारिश के दौरान पेड़ गिरने से इसकी चपेट में आकर बाइक सवार की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि सिंचाई विभाग सेलाकुईं में कार्यरत तसीम (26 वर्ष) पुत्र यामीन अपने घर जीवनगढ़ से बाइक पर सवार होकर ड्यूटी को जा रहा था। तभी यह हादसा हो गया। उत्तराखंड में गत दिवस सुबह के समय बारिश ने जमकर कहर बरपाया था। दून में सात लोगों की मौत हो गई थी। इनमें चार मकान की दीवार के मलबे में दब गए थे। वहीं तीन लोग अलग-अलग स्थान पर बरसाती नदियों के बहाव की चपेट में आ गए थे। वहीं पिथौरागढ़ और बागेश्वर के कपकोट में भी नुकसान हुआ था। उत्तराखंड में 22 जून को पहुंचेगा मानसून, इससे पहले बारिश का दौर जारी यह भी पढ़ें आधी रात के बाद से उत्तराखंड में फिर से रिमझिम बारिश का दौर शुरू हो गया। देहरादून, ऋषिकेश, कोटद्वार, मसूरी, टिहरी पौड़ी सहित कई स्थानों पर रुक-रुक कर बारिश हो रही है। लगातार बारिश से उत्तरकाशी में भागीरथी का जलस्तर खतरे से निशान से दो मीटर नीचे बह रहा है। वहीं, ऋषिकेश क्षेत्र में सौंग, सुसवा नदी का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों में रायवाला, साहबनगर, चकजोगीवाला, ठाकुरपुर, गौहरी माफी, हरिपुर कला सहित कई गांवों के लोग डरे हुए हैं। यहां हर साल बाढ़ से नुकसान पहुंचता है। उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज, कुमाऊं में बारिश से बुझी जंगलों में आग यह भी पढ़ें उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे सुचारु है, लेकिन यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट के निकट मलबा आने से फिर से बंद हो गया। ऐसे में करीब 50 यात्री स्यानाचट्टी में रुके हैं। वहीं, केदारनाथ, बदरीनाथ व हेमकुंड यात्रा सुचारु है। टिहरी जनपद में ऋषिकेश गंगोत्री राजमार्ग भी फकोट ताछला में तड़के करीब चार बजे बंद हो गया था। इसे खोल दिया गया। कद्दूखाल के पास भी सड़क पर मलबा आने से बार-बार यातायात बाधित हो रहा है।

उत्तराखंड में बरसात का मौसम अब लोगों को डराने लगा है। लगातार बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। वहीं, सड़कों के बंद होने का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी दी है। वहीं, बारिश के दौरान पेड़ गिरने के …

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भाजपा 80 लोकसभा क्षेत्रों में बनाएगी प्रभारी, 74 सीटें और 50 प्रतिशत वोट का लक्ष्य

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है। इसके लिए संगठन में तेजी से बदलाव हो रहा है। सभी जिलों में नए प्रभारी बनाये जाने के बाद पार्टी अब सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों में प्रभारी नियुक्त करेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने प्रभारियों की तैनाती के लिए होमवर्क शुरू कर दिया है। इसके लिए संगठन से लेकर राज्यसभा, विधान परिषद और विधानसभा सदस्यों को भी जिम्मेदारी सौंपने की योजना है। भाजपा के लिए 2014 के चुनाव में दिल्ली में सरकार बनाने में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा सहयोगी बना। यहां 80 सीटों में 71 भाजपा और दो सीटें सहयोगी अपना दल को मिली थीं। पिछली चार और पांच जुलाई को काशी से लेकर ब्रज क्षेत्र तक चुनावी मुहिम शुरू कर गए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं के लिए 74 सीटें और हर बूथ पर 50 फीसद से ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी सेना सजा रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों की शुरुआत हो गयी है। उत्तर प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की 51 सदस्यीय कार्यसमिति घोषित यह भी पढ़ें प्रदेश के सभी जिलों में नए प्रभारी घोषित करने के बाद अब सांगठनिक लिहाज से लोकसभावार प्रभारियों की तैनाती होगी। प्रभारियों की तैनाती के पीछे मंशा यह है कि हर लोकसभा में समन्वय बना रहे। इन प्रभारियों पर बूथ स्तर तक 50 फीसद से ज्यादा वोट हासिल करने के लिए सांगठनिक सक्रियता की जिम्मेदारी होगी। जिलों में लगाये गए पूर्णकालिक विस्तारकों के अनुभवों को साझा करते हुए ये लोग एक्शन प्लान तैयार करेंगे और संगठन के साथ मिलकर क्रियान्वयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भाजपा की मजबूरी या बनेगी दूरी यह भी पढ़ें नए उम्मीदवारों का आकलन करेंगे प्रभारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा संगठन और सरकार की समन्वय बैठकों में मंथन के बाद इस वर्ष जनवरी माह में ही दो दर्जन से ज्यादा सांसद चिह्नित किये गए जिन्हें टिकट नहीं मिलना है। नेतृत्व की इस मंशा की भनक लगते ही कुछ सांसदों ने तो अपनी सक्रियता बढ़ा दी लेकिन, कई दूसरे दलों में भी ठिकाना ढूंढऩे में जुट गए। पार्टी नए उम्मीदवारों की जमीनी हकीकत जानने और उनके प्रभाव के आकलन के लिए भी प्रभारियों को जिम्मेदारी देगी। यह प्रक्रिया दो माह में पूरी कर लेंगे। ध्यान रहे कि पार्टी बुजुर्ग और बीमार सांसदों को भी इस बार चुनाव मैदान में लाने की पक्षधर नहीं है। उन्हें कहीं अन्यत्र समायोजित किया जाएगा।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है। इसके लिए संगठन में तेजी से बदलाव हो रहा है। सभी जिलों में नए प्रभारी बनाये जाने के बाद पार्टी अब सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों में प्रभारी नियुक्त करेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने प्रभारियों …

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यहां बल्लियों पर टिकी है दस गांवों की जिंदगी, हो सकता है बड़ा हादसा

उत्तरकाशी में दस से अधिक गांवों की जीवन रेखा अस्थाई पुलिया के भरोसे चल रही है। आपदा के दौरान इन गांव के निकट के बरसाती नालों में बनी पुलिया बह गई थी, जो अभी तक स्थाई रूप से नहीं बनाई गई हैं। ग्रामीणों और छात्रों को जान जोखिम में डालकर बरसात के समय ये नदी-नाले पार करने पड़ रहे हैं। इन नालों पर कई बार हादसे भी हो चुके हैं, बावजूद इसके सोया हुआ तंत्र जागने को तैयार नहीं है। बता दें कि भटवाड़ी ब्लॉक के स्याबा और सालू गांव के 30 से अधिक नौनिहाल अपनी जान जोखिम में डाल कर एक बरसाती गदेरे पर लगी लकड़ी की कच्ची पुलिया को पार कर सौंरा इंटर कॉलेज आते-जाते हैं। नौगांव ब्लॉक के मदेश और पिंडकी के बीच हनुमान गंगा पर स्थाई पुलिया आपदा के दौरान बह गई थी। ग्रामीणों ने आवागमन के लिए अस्थाई पुलिया बनाई। मोरी ब्लॉक के सटूड़ी गांव के ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले ही सुपीन नदी पर अस्थाई पुलिया बनाई। इस पुलिया से ग्रामीण व छात्र जखोल पहुंचते हैं। घोषणा के बाद भी पिछले पांच सालों से स्थाई पुल का निर्माण नहीं हो सका। मोरी के सांकरी से ओसला गंगाड़ जाने के लिए ग्रामीणों हलारा गदेरा व पूर्ती गाड को पार करना पड़ता है। लेकिन इन दोनों जगह पर 2012 में यहां बनी अस्थाई पुलिया बह गई थी। हलारा गदेरे में 2014 में एक महिला गदेरे के उफान में बह गई थी। 2016 में यहां एक ब्रह्म ब्रिज भी बनाया गया था। वह भी टूट गया गया है। अब हलारा गदेरा व पूर्ति गाड़ में ग्रामीणों ने अस्थाई पुलिया बनाई है। भटवाड़ी ब्लॉक के गजोली व नौगांव के छात्रों को भी इंटर कॉलेज तक पहुंचने के लिए 2012 से कच्ची पुलिया का सहारा लेना पड़ता है। उत्तराखंड: भारी बारिश से उफान पर आए ये दो नाले, लोगों में दहशत यह भी पढ़ें इस तरह से अगोड़ा गांव के ग्रामीण अपनी छानियां व खेतों तक जाने के लिए असी गंगा को पार करते हैं। 2017 में एक ट्रॉली लगाई गई। लेकिन ट्रॉली के तार ढीले हो चुके हैं। इसी घाटी में विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल डोडीताल जाने के लिए बेवरा नदी पार करनी होती हैं। यहां ग्रामीणों ने अस्थाई पुलिया बनाई है। लेकिन बरसात में यह पुलिया बह जाती है। बीते वर्ष पुलिया बहने से डोडीताल में पांच पर्यटक फंसे थे। वन विभाग ने इन मार्ग की मरम्मत पर दो करोड़ से अधिक खर्च कर दिए हैं। बावजूद इसके अभी तक पुलिया नहीं बन पाई है। मोरी के बेंचा घाटी के लिवाडी, फिताडी, रैक्चा के ग्रामीणों को बरसात में सुपीन नदी तथा मोरी के नुराणु, सेवा, बरी के ग्रामीणों को रूपीन नदी पर बनाई अस्थाई पुलिया से आवागमन करना पड़ रहा है। इसी तरह की स्थिति पुरोला के सांखाल, मटियालोड, थली, नाडा गांव की है। बरसात के दिन इन ग्रामीणों पर भारी पड़ते हैं। ट्रॉली से गिरकर उफनती टौंस नदी में समार्इ बच्ची, लापता यह भी पढ़ें जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि गजोली में पुलिया बनाने के लिए जिपं को निर्देश दिए गए हैं। सटूड़ी गांव में स्थाई पुलिया स्वीकृत है। वन अधिनियम की स्वीकृति की कार्रवार्इ गतिमान है। ग्रामीणों के पास वैकल्पिक रास्ते भी हैं।

उत्तरकाशी में दस से अधिक गांवों की जीवन रेखा अस्थाई पुलिया के भरोसे चल रही है। आपदा के दौरान इन गांव के निकट के बरसाती नालों में बनी पुलिया बह गई थी, जो अभी तक स्थाई रूप से नहीं बनाई गई हैं। ग्रामीणों और छात्रों को जान जोखिम में डालकर …

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विश्व जनसंख्या दिवसः इस डॉक्टर ने एक लाख उनतालीस हजार पुरुष नसबंदी कर बनाया कीर्तिमान

1974 से चीन में प्रचलित बिना चीरा, बिना टाका पुरुष नसबंदी प्रदेश में 1994 से सफलतापूर्वक की जा रही है। 1998 में केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' फॉर 'नो स्कैल्पल वैसेक्टमी (एनएसवी)' बना। देश भर में इस तरह के 16 सेंटर खोले गए। इनमें से सिर्फ केजीएमयू का एनएसवी सेंटर ही चल रहा है। सेंटर के मास्टर ट्रेनर डॉ. नंदन सिंह डसीला खुद अब तक एक लाख उनतालीस हजार पुरुष नसबंदी ऑपरेशन कर चुके हैं। एनएसवी सेंटर में यह सुविधा निश्शुल्क है। जनसंख्या नियंत्रण की यह मुहिम देश की उन्नति में सहायक साबित हो रही है। उत्तराखंड के मूल निवासी मास्टर ट्रेनर डॉ. एनएस डसीला ने बताया कि शुरुआत में पुरुष नसबंदी के कम केस होते थे। धीरे-धीरे बढ़ते गए। एक अप्रैल, 2018 से अब तक 72 एनएसवी किए जा चुके हैं। उप्र और उत्तराखंड के अधिकतर गावों में लोगों के बीच जाकर उन्हें जागरूक किया है। सीतापुर में मिली भारी सफलता: नवंबर 2004 में सीतापुर में मेगा कैंप का अयोजन किया गया था। इसमें 1500 से ज्यादा एनएसवी ऑपरेशन करके कीर्तिमान स्थापित किया गया। विश्व शरणार्थी दिवस: देश ही नहीं भावनाओं का भी विभाजन यह भी पढ़ें यह मिलता लाभ: ऑपरेशन के बाद लाभार्थी को मुफ्त दवाइया और 2000 रुपये बैंक खाते में भेजा जाता है। 300 रुपये प्रेरक के बैंक खाते में जाता है। घबराने की बात नहीं : एनएसवी परिवार को सीमित रखने के लिए सरल, स्थायी, सुरक्षित और भरोसेमंद उपाय है। 5-10 मिनट लगता है। ऑपरेशन के बाद पहले की तरह काम कर सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर नस को पुन: जोड़ा भी जा सकता है। व‌र्ल्ड नृत्य दिवस: कम उम्र में बनी डास टीचर तो कहीं 600 बच्चों की गुरु खुद विद्यार्थी यह भी पढ़ें यहा करें संपर्क: 0522-2256543, 8948734929 पर संपर्क या सेंटर पर आकर अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं। शुक्राणु नली पुनयरेजन भी : किसी के दो बच्चे हैं और उसने एनएसवी ऑपरेशन करा लिया। जीवन की अनिश्चितता उसके दोनों बच्चों को छीन लेती है। ऐसी स्थिति में शुक्राणु नली पुनयरेजन के जरिए राहत देने का काम भी किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस: छोटी सी बगिया से बड़ा संदेश यह भी पढ़ें क्या कहना है अफसर का ? प्रोजेक्ट डायरेक्टर/विभागाध्यक्ष प्रो. एसएन संखवार का कहना है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय, भारत सरकार और अन्य के सहयोग से पुरुष परिवार नियोजन की दिशा में काम हा रहा है। लोगों में जागरूकता बढ़ी है। जागरूकता का डिजिटल तरीका: जागरूकता का डिजिटल तरीका ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का बेहतर माध्यम है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उप्र के अंतर्गत स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना के तहत जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अवेयरनेस वीडियो तैयार किया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव वी हेकाली डिामोमी के मार्गदर्शन में परियोजना के इंफॉर्मेशन, एजुकेशन और कम्युनिकेशन (आइईसी सेल) ने इसे तैयार किया है। विश्व बालश्रम निषेध दिवस: ताकि बेफिक्र और बेखौफ हो बचपन. यह भी पढ़ें शॉर्ट फिल्म को तैयार करने में पाच दिन का समय लगा। चार मिनट के इस वीडियो में पुरुष नसबंदी ऑपरेशन करने वाले विशेषज्ञ और लाभार्थी के अनुभव को शामिल किया गया है। आइईसी सेल की टीम : डॉ. धीरज तिवारी (असिस्टेंट डायरेक्टर आइईसी सेल), कात्या बाजपेई, अखिलेश मित्र, शुभा श्रीवास्तव और स्वप्निल सिंह।

1974 से चीन में प्रचलित बिना चीरा, बिना टाका पुरुष नसबंदी प्रदेश में 1994 से सफलतापूर्वक की जा रही है। 1998 में केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ फॉर ‘नो स्कैल्पल वैसेक्टमी (एनएसवी)’ बना। देश भर में इस तरह के 16 सेंटर खोले गए। इनमें से सिर्फ केजीएमयू …

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8 साल बाद सरकार को आई शहरों की याद, नए सिरे से बनेगा मास्टर प्लान

उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 17 साल से ज्यादा वक्फा गुजरने के बाद सरकार को शहरों की याद आई है। इनमें अव्यवस्थित रूप से हो चुकी बसागत समेत अन्य कारणों को देखते हुए अब राज्य के 92 नगर निकायों के लिए सरकार नए सिरे से मास्टर प्लान की कवायद शुरू करने जा रही है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने सोमवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि देहरादून के मास्टर प्लान को प्रक्रियात्मक रूप से हाईकोर्ट ने निरस्त किया है। यहां भी नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की नजूल नीति के मामले में भी सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है। शासकीय प्रवक्ता एवं काबीना मंत्री कौशिक ने कहा कि जब नगर निकायों के लिए मास्टर प्लान बने थे, तब से अब तक की स्थिति काफी बदल चुकी है। कई नए क्षेत्र निकायों में शामिल हुए हैं, जिससे उनका भूगोल बदला है। ऐसे में आवश्यक है कि सभी शहरों के व्यवस्थित एवं नियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान नए सिरे से तैयार किया जाए। इस सिलसिले में कसरत प्रारंभ कर दी गई है। मास्टर प्लान पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की जाएगी दाखिल, जानिए क्या है एसएलपी यह भी पढ़ें एक सवाल पर उन्होंने कहा कि देहरादून के मास्टर प्लान में प्रक्रियात्मक त्रुटि थी और इसी आधार पर हाईकोर्ट ने इसे निरस्त किया। हालांकि, इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई है, लेकिन अब दून में कई क्षेत्र शामिल होने से स्थिति बदली है। लिहाजा, यहां भी नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार होगा। कोशिश यह रहेगी कि दून समेत प्रदेश के अन्य शहरों के लिए तैयार होने वाले मास्टर प्लान में किसी प्रकार की प्रक्रियात्मक त्रुटि न रहने पाए। ड्रेनेज प्लान पर भी फोकस दून में अटके हैं 2400 नक्शे, एक्ट से चल रहा काम यह भी पढ़ें देहरादून का ड्रेनेज प्लान 2008 से फाइलों में कैद होने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि न सिर्फ दून बल्कि अन्य शहरों में भी ड्रेनेज प्लान पर फोकस किया जाएगा। हालांकि, बजट के लिहाज से यह खासा महंगा है। देहरादून के ड्रेनेज प्लान को मास्टर प्लान में शामिल किया जाएगा, जबकि अन्य बड़े शहरों में एडीबी के जरिये इसके लिए व्यवस्था की जाएगी। निकाय एक्ट को भी कसरत दून में नहीं रुकेगा अतिक्रमण हटाने का अभियान यह भी पढ़ें शहरी विकास मंत्री ने कहा कि निकायों के लिए अपना एक्ट तैयार करने की कड़ी में पूर्व में एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अन्य राज्यों के निकाय एक्ट को लेकर अध्ययन किया है। जल्द ही इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव के बाद ही एक्ट अस्तित्व में आ पाएगा।

उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 17 साल से ज्यादा वक्फा गुजरने के बाद सरकार को शहरों की याद आई है। इनमें अव्यवस्थित रूप से हो चुकी बसागत समेत अन्य कारणों को देखते हुए अब राज्य के 92 नगर निकायों के लिए सरकार नए सिरे से मास्टर प्लान की कवायद शुरू …

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इटावा में तेज गर्मी से पारा चढ़ा, गर्मी से चार बच्चे बेहोश

मानसून में भी सूखा के साथ ही तेज गरमी बेहद भीषण हो गई है। इटावा में आज गरमी के कहर के कारण चार बच्चे स्कूल में ही बेहोश हो गए। प्राथमिक उपचार के बच्चों को अभिभावकों के साथ घर भेज दिया गया। इटावा के महेवा विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय ईकरी, दाउदपुर, नगला शिवसिंह में आज चार बच्चे भीषण गरमी के कारण बेहोश हो गए। इनमें कक्षा छह की शैव्या, कक्षा दो का गोलू, कक्षा चार का सोहन तथा कक्षा दो की काजल बेहोश हो गए। यह सब भीषण गरमी के कारण बेहोश हो गए। इसके कारण स्कूल में खलबली बच गई। कक्षा में पढ़ा रहे अध्यापक ने प्रधानाध्यापक को इसकी जानकारी दी। इसके बाद प्रधानाध्यापक ने इन सभी बच्चों को प्राथमिक उपचार दिया। जब इनकी हालत में सुधार होने लगा तो इनके अभिभावकों को बुलाकर बच्चों को घर भेजा गया।

मानसून में भी सूखा के साथ ही तेज गरमी बेहद भीषण हो गई है। इटावा में आज गरमी के कहर के कारण चार बच्चे स्कूल में ही बेहोश हो गए। प्राथमिक उपचार के बच्चों को अभिभावकों के साथ घर भेज दिया गया। इटावा के महेवा विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय …

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देश विदेश में खासी मशहूर है अल्मोड़ा की येे मिठाइयां

अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खासी मशहूर है। लोग सौगात के रूप में यही तीन मिठाइयां लेकर यहां से जाते हैं। यहां बाल मिठाई बनाने का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है। इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीके को निखारने का श्रेय मिठाई विक्रेता स्व. नंद लाल साह को जाता है, जिसे आज भी खीम सिंह मोहन सिंह रौतेला और जोगालाल साह के प्रतिष्ठान संवार रहे हैं। बाल मिठाई को आसपास के क्षेत्र में उत्पादित होने वाले दूध से निर्मित खोए से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए खोए और चीनी को एक निश्चित तापमान पर पकाया जाता है। लगभग पांच घंटे तक इसे ठंडा करने के बाद इसमें रीनी और पोस्ते के दाने चिपकाए जाते हैं। जिसे बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसा ही बेजोड़ स्वाद सिंगौड़ी का भी है। सिंगौड़ी मालू के पत्ते में लपेटी जाती है और इसे कोन का आकार दिया जाता है। यहां के परंपरागत व्यजनों का लुत्फ भी सैलानी आसानी से उठा सकते हैं।

अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खासी मशहूर है। लोग सौगात के रूप में यही तीन मिठाइयां लेकर यहां से जाते हैं। यहां बाल मिठाई बनाने का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है।  इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीके को निखारने …

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अलीगढ़ में भाजपा विधायकों को आयकर का समन, पूछा गया चुनाव में खर्च की रकम का स्रोत

आयकर विभाग ने जिले के भारतीय जनता पार्टी के पांच विधायकों को समन जारी किया है। विभाग से दो महीने पहले सात भाजपा विधायकों को नोटिस भेजे गए थे, लेकिन जवाब नहीं देने पर अब पांच को समन भी भेज दिए हैं। मसला, चुनावी खर्च के हिसाब को लेकर है। इन्होंने चुनाव में खर्च, नामांकन पत्र में दर्शायी संपत्ति और नकद राशि का जो हिसाब दिया था, उसकी ही अब पड़ताल हो रही है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग बीते विधानसभा चुनाव में निर्वाचित विधायकों के नामांकन पत्रों में दिखाई गई चल-अचल संपत्तियों व बैंक खाते में कैश की जांच करा रहा है। आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को इसके निर्देश दिए। सीबीडीटी ने आयकर विभाग (मुख्यालय) को लगाया। आयकर विभाग ने जांच शाखा को विधायकों की पत्रावलियां जांच कराने का निर्देश दिया। इसके बाद ही राजस्थान के राज्यपाल तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाती शिक्षा राज्यमंत्री व अतरौली विधायक संदीप सिंह, बरौली विधायक ठाकुर दलवीर सिंह, शहर विधायक संजीव राजा, कोल विधायक अनिल पाराशर, खैर विधायक अनूप वाल्मीकि, इगलास विधायक राजवीर दिलेर व छर्रा विधायक ठाकुर रवेंद्र पाल सिंह को जांच विंग के निरीक्षकों ने नोटिस भेजे। इनमें से अनिल पाराशर व एक अन्य विधायक ने ही जवाब दिया है। अलीगढ़ में रिश्वत न देने पर युवक को सिपाहियों ने पीटा, विधायक ने दर्ज कराया केस यह भी पढ़ें बाकी के जवाब नहीं देने पर आयकर विभाग ने समन भेज दिए हैं। हालांकि, अधिकांश विधायक नोटिस या समन न मिलने की बात कह रहे हैं। वहीं, जांच से जुड़े आयकर विभाग के एक उच्चाधिकारी पांच विधायकों को समन भेजने की पुष्टि करते हैं। अलीगढ़ के कोल विधायक अनिल पाराशर ने बताया कि करीब डेढ़ महीने पहले आयकर का नोटिस मिला था। चुनाव में खर्च व आय से संबंधी जानकारी मांगी गई थी। सीए के जरिये जवाब दे दिया है। बरौली विधायक ठा. दलवीर सिंह ने बताया कि आयकर के नोटिस की जानकारी नहीं है, लेकिन विभाग कोई जानकारी मांगेगा तो जरूर देंगे।

आयकर विभाग ने जिले के भारतीय जनता पार्टी के पांच विधायकों को समन जारी किया है। विभाग से दो महीने पहले सात भाजपा विधायकों को नोटिस भेजे गए थे, लेकिन जवाब नहीं देने पर अब पांच को समन भी भेज दिए हैं। मसला, चुनावी खर्च के हिसाब को लेकर है। …

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अमेठी में राहुल गांधी का पीएम पर हमला कहा,वह बुलेट ट्रेन नहीं, मैजिक ट्रेन है जो कभी नहीं चलेगी

राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी, आरएसएस और बीजेपी क्या कर रहे हैं? नरेंद्र मोदी जी ने हिंदुस्तान का पूरा पैसा पांच से दस उद्योगपतियों को पकड़ा दिया और छोटे व्यापारियों को तोड़ दिया। पिछले साल मोदी जी ने हिंदुस्तान के किसानों का जीरो रुपए माफ किया। मोदी जी ने दो लाख करोड़ रुपए 15 लोगों का माफ किया। 24 घंटे में हिंदुस्तान 450 लोगों को नौकरी देता है। जीएसटी और नोटबन्दी से आपकी जेब का पैसा लेकर विजय माल्या और नीरव मोदी को दिया। मोदी जी ने किसान को खत्म कर दिया। चार जुलाई को दो दिन के लिए अमेठी आ सकते हैं राहुल गांधी, आज हो रहीं तैयारियां यह भी पढ़ें कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी गुजरात मे चाइना के प्रधानमंत्री के साथ झूला झूले। झूला झूले गुजरात में, जहां बुलेट ट्रेन बन रही है। वो बुलेट ट्रेन नहीं है वो मैजिक ट्रेन है और कभी नहीं बनेगी। वो ट्रेन कांग्रेस की सरकार में बनेगी। नरेंद्र मोदी ने उनके सामने हाथ जोड़े और उनके घर गए। चाइना ने अपनी सेना को लद्दाख में घुसा दिया। डोकलाम में भी घुसा दिया लेकिन मोदी जी ने एक शब्द नहीं बोला। मोदी जी ने डोकलाम के बारे में चाइना में एक शब्द नहीं बोला। अमेठी दौरे के दूसरे दिन भी पीएम नरेंद्र मोदी पर हमलावर राहुल गांधी यह भी पढ़ें राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस का व्यक्ति किसी हिन्दू को देखता है तो जाति देखता है बल्कि कांग्रेस पार्टी सबको जोड़ने की बात करती है। हम प्यार से बात करते हैं। हम आपकी शक्ति को बढ़ाने के लिए शक्ति प्रोजेक्ट लाया गया है।

अमेठी (जेएनएन)। दो दिन के अमेठी दौरे पर पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फुरसतगंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमले बोला। राहुल गांधी ने कहा कि किसान, युवा और देश आज कहां हैं? हिन्दुस्तान के सामने तीन बड़े चैलेंज हैं, बेरोजगारी, किसान की हालत, महंगाई। …

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सड़क हादसों की वजह है ट्रिपल ओ, जानिए क्या है ये

ट्रिपल ओ' यानी ओवरस्पीड, ओवरलोडिंग और ओवरटेक के दौरान नियमों की अनदेखी 60 फीसद सड़क हादसों का मूल कारण होती है। इसे लेकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, फिर भी हालात जस के तस हैं। पौड़ी के धुमाकोट में रविवार को हुए बस हादसे में 48 लोगों की जान चली गई। हादसे की असल वजह क्या रही, तंत्र इसकी पड़ताल में जुट तो गया है। लेकिन, एक बात तो साफ हो चुकी है कि 28 सीटर बस में क्षमता से दोगुने यानी 61 यात्री सवार थे। ऐसे में साफ है कि सड़क पर वाहन चलाते समय की गई छोटी सी लापरवाही मौत की नींद सुला देती है। राजधानी दून की बात करें तो यहां सड़क हादसों में प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ सौ से अधिक लोग जान गवा देते है, वहीं इससे दो गुना घायल होकर जिंदगीभर दुर्घटना का दंश झेलते हैं। पुलिस की मानें तो सड़क हादसों का सबसे अहम कारण अप्रशिक्षित चालक, लापरवाही, ओवरलो¨डग और यातायात नियमों का पालन नहीं होना है। यही नहीं सड़कों पर पार्किंग, अधूरे सड़क निर्माण, यातायात संकेतकों की कमी, ओवरलोड वाहन व तेज रफ्तार सहित ऐसे बहुत से कारण हैं, जिन पर कार्रवाई न होने के कारण स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। कम जुर्माने से नहीं रहा डर उत्तराखंड में 17 साल में हुए 843 सड़क हादसे, ढाई हजार लोगों की हुई मौत यह भी पढ़ें सड़क हादसों के पीछे यातायात नियमों की अनदेखी सबसे बड़ा कारण होता है। छोटी-छोटी गलतियां कई बार बड़े हादसों का कारण बन जाती है। कई गलतियों पर मामूली जुर्माना होने से भी लोग सचेत होने की जगह जुर्माना भरना शौक समझते हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से ओवरस्पीड, रेड लाइट जंप, रफ ड्राइविंग सहित छह मामलों में गाड़ी छोड़ने का अधिकार आरटीओ को दिया गया है, लेकिन स्थिति यथावत है। लालच-मजबूरी भी है कारण मदरसों में टॉप करने के बाद भी अधर में है भविष्य, जानिए वजह यह भी पढ़ें पर्वतीय मार्गो पर सवारी वाहनों की संख्या मैदानी इलाकों की अपेक्षा कम होने के कारण निजी वाहन चालक मानक से कहीं ज्यादा सवारिया ढोते हैं। ओवरलोडिंग के पीछे वाहन चालक को अधिक किराये का लालच होता है तो लोगों के सामने मजबूरी। यह है चालान राशि रोडवेज कर्मियों को मिला ईद का ये तोहफा, जानिए यह भी पढ़ें वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, 500 रुपये बिना हेलमेट, 100 रुपये योग के बहाने पीएम मोदी ने दी विरोधियों को नसीहत, जानिए यह भी पढ़ें ओवर स्पीड, 500 रुपये रेडलाइट जंप, 100 रुपये रफ ड्राइविंग, 100 रुपये गलत ओवरटेक,100 रुपये धूमपान, 100 रुपये बिना सीट बेल्ट,100 रुपये बीते तीन वर्षो में प्रदेशभर में हुए सड़क हादसे वर्ष, दुर्घटनाएं, मृतक, घायल 2015, 1523, 913, 1657 2016, 1591, 962, 1736 2017, 1603, 942, 1631 2018(अब तक), 618, 390, 659 राज्य में हादसों के प्रमुख कारण और मौत के आंकड़े कारण, दुर्घटनाएं, मृतक, घायल ओवरस्पीड, 342, 226, 341 गलत साइड से ड्राइविंग, 43, 14, 48 गलत तरीके से ओवरटेक, 50, 24, 47 सड़क पर रेत, बजरी, 12, 14, 08 सड़क पर गड्ढे, 06, 04, 04 शराब पीकर गाड़ी चलाना, 06, 03, 011 वाहन की खराबी, 05, 02, 04 सड़क पर गाड़ी की पार्किंग, 07, 04, 08 (नोट: आंकड़े एक जनवरी से 31 मई 2018 तक के हैं) एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि अगर वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन किया जाए तो हादसे का खतरा काफी हद तक टाला जा सकता है। जागरूकता अभियान के दौरान लोगों को इसके लिए प्रेरित भी किया जाता है। इसके साथ ही कार्रवाई भी की जाती है।

ट्रिपल ओ’ यानी ओवरस्पीड, ओवरलोडिंग और ओवरटेक के दौरान नियमों की अनदेखी 60 फीसद सड़क हादसों का मूल कारण होती है। इसे लेकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, फिर भी हालात जस के तस हैं। पौड़ी के धुमाकोट में रविवार को हुए बस हादसे में 48 लोगों की जान चली …

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