लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान में पिछले चुनाव की तुलना में मामूली बढ़त के साथ 61 फीसदी वोट ही पड़े। इस चरण में जहां वोट प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रहा वहीं हिंसा और बवाल की घटनाएं ज्यादा हुईं।
मतदाताओं ने प्रदेश के 12 जिलों ललितपुर, झांसी, महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, जालौन, फतेहपुर, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ और रायबरेली की 53 सीटों पर 680 प्रत्याशियों के भाग्य पर गुरुवार को अपनी मुहर लगा दी।
इस चरण में प्रदेश सरकार के मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, रायबरेली के बाहुबली विधायक अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह, कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी की पुत्री आराधना मिश्रा, सपा के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह के बेटे उज्ज्वल रमण सिंह, नेता विपक्ष गयाचरण दिनकर, पूर्व मंत्री व बसपा प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज और अयोध्या प्रसाद पाल, भाजपा के सिद्धार्थ शंकर सिंह व पूर्व मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ आदि नेताओं के भाग्य पर फैसला ईवीएम में बंद हो गया है।
इस चरण में सबसे ज्यादा मतदान ललितपुर में 71.44 प्रतिशत हुआ जबकि सबसे कम वोट इलाहाबाद में पड़े। यहां केवल 54.48 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इस चरण में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी 60.20 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस दौरान इलाहाबाद की 12, बांदा की चार, चित्रकूट की दो, फतेहपुर की छह, हमीरपुर की दो, जालौन की तीन, झांसी की चार, कौशाम्बी की तीन, ललितपुर की दो, महोबा की दो, प्रतापगढ़ की सात और रायबरेली की छह सीटों पर मतदाताओं ने फैसला दे दिया है।