Wednesday , January 15 2025

राज्यों से

गोरखपुर और कौशांबी में सड़क दुर्घटनाओं में 12 की मौत, तीन दर्जन घायल

सोनौली हाइवे पर महराजगंज जिले के कोल्हुई कस्बे के समीप सड़क किनारे खड़े ट्रक से शनिवार की रात एक मैजिक भिड़ गईं। इस दुर्घटना में मैजिक सवार छह जायरीनों की मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल 12 लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सभी लोग किछौछा दरगाह (अंबेडकर नगर जिला) पर चादर चढ़ा कर कोल्हुई आ रहे थे। इस दौरान मैजिक चालक को झपकी आने से यह दुर्घटना हो गई।वहीं कौशांबी में बरात लेकर जा रही बस पलटने से छह लोगों की मौत की जानकारी हुई है। जबकि बस में सवार दो दर्जन लोग घायल हो गये। जानकारी के मुताबिक किछौछा मजार पर चादर चढ़ा कर 17 जायरीन मैजिक से कोल्हुई व निचलौल स्थित अपने घर आ रहे थे। मैजिक अभी कोल्हुई कस्बे में पहुंचने वाली थी कि सड़क किनारे खड़े ट्रक से भिड़ गई। जिसके चलते हुसेन पुत्र सुजान 30 वर्ष की मौके पर ही मौत हो गई,जबकि मैजिक में सवार ड्राइवर समेत 17 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। देर रात हुई भीषण दुर्घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को मैजिक से निकाल रात में जिला अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार की भोर में करीब 3.45 बजे रिजवाना पुत्री सुजान 16 वर्ष, नजरुनिशा पत्नी सुजान 50 वर्ष, व शबीबुनिशा 50 वर्ष पत्नी रुआबुल्लाह अंसारी थाना निचलौल की मौत हो गई। जब कि 14 घायलों को चिकित्सकों ने गोरखपुर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे दुर्घटना में मृत छात्रों के शव पहुंचे गांव, व‍िद्यालय प्रबंधन पर मुकदमा यह भी पढ़ें मेडिकल कालेज में मजीदुन्निशा 35 वर्ष व शबीना पुत्री बिलाल अहमद निवासी बिले पार्ले मुम्बई 21 वर्ष की मौत हो गई। 12 घायलों को परिजनों द्वारा गोरखपुर मेडिकल कालेज सहित विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें शबाना 17 वर्ष , रुखसाना 25 वर्ष, जावेद 28 वर्ष छोटू 20 वर्ष की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमर्टम के लिए भेज दिया है। सड़क हादसे में फार्मासिस्ट की मौत हाईवे पर ट्रक से भिड़ी मैजिक, पांच जायरीन की मौत, 13 घायल यह भी पढ़ें चित्रकूट की कर्वी कोतवाली अंतर्गत ब्यूर इलाके में रविवार को सड़क हादसे में फार्मासिस्ट अभिशेष सिंह पुत्र राज बहादुर सिंह की मौत हो गई। बाइक से घर लौट रहे थे। इसी बीच निर्माणाधीन पुलिया के पास घटना हुई। घटनास्थल पर काफी देर तक किसी के न पहुंचने के कारण ज्यादा खून बहने से दम तोड़ दिया। यूपी-100 पुलिस टीम ने अस्पताल पहुंचाया पर मृत घोषित कर दिया। मृतक शिवरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात थे। खड़ी डीसीएम से टकराई बस, एक यात्री की मौत, छह घायल उन्नावः लखनऊ-बांगरमऊ मार्ग पर आसीवन थाना क्षेत्र बारीथाना के पास सड़क के किनारे खड़ी डीसीएम में दिल्ली से लखनऊ जा रही रोडवेज बस में टक्कर मार दी। दुर्घटना में दिल्ली से अपने घर औरास थाना क्षेत्र के गांव मोहनखेडा जा रहे अशोक (22) पुत्र रामपाल की मौत हो गई जबकि औरास थाना क्षेत्र के गांव धानमऊ निवासी श्रीमती पत्नी शिशुपाल सुशांत (5), सुमित (3) और परसौरा निवासी ईश्वरी पुत्र रामभजन के साथ आसीवन के गांव टिकरा निवासी जगनू पुत्र शिवबरन घायल हो गए। हालत गंभीर होने से श्रीमती और उनके बेटे सुशांत के साथ जगनू को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। गोरखपुर में बस और कार की टक्कर में तीन की मौत, 12 घायल यह भी पढ़ें बस ने पानी के टैकर में मारी टक्कर, एक की मौत उन्नावः आगरा एक्सप्रेस-वे पर रविवार सुबह औरास के लोधाटिकुर गांव सामने एक तेज रफ्तार निजी बस ने पानी के टैंकर में पीछे से टक्कर मार दी। दुर्घटना में टैंकर चालक महेंद्र प्रताप (28) पुत्र रामभरोसे निवासी जिलई थाना किशनी जनपद मैनपुरी की मौत हो गई। महेंद्र इटावा से पानी का टैंकर लेकर लखनऊ जा रहा था। हादसे के बाद बस चालक भाग निकला, जबकि बस के कई यात्रियों को भी हल्की चोटें आईं। पुलिस ने बस यात्रियों को दूसरे साधनों से लखनऊ भिजवा कर बस को कब्जे में ले लिया। मृतक के भाई राजेश ने थाने पहुंच कर भाई के शव की पहचान की और अज्ञात बस चालक के खिलाफ तहरीर दी है। टायर फटने से बाइक बेकाबू हो गिरी, पत्नी की मौत, पति बच्चा घायल उन्नाव: लखनऊ कानपुर हाईवे पर तेज रफ्तार बाइक टायर फटने से बेकाबू हो पलट गई हादसे में लखनऊ के आशियाना मोहल्ला निवासी महिला की मौत हो गई, जबकि बाइक चला रहा पति और 5 साल का बच्चा घायल हो गया। आशियाना मोहल्ला निवासी हरिपाल 33 पुत्र अमोल शनिवार रात अपनी पत्नी किरण 30 और 5 साल के बेटे विनय के साथ मांगलिक कार्यक्रम ने शरीक होने शहर के मोहल्ला कब्बाखेड़ा स्थित गेस्ट हाउस आ रहे थे। हाईवे पर दही चौकी के पास बाइक का टायर फट गया, जिससे बाइक बेकाबू हो गिर गई। सिर में गंभीर चोट आने से किरन की मौत हो गई। पति और बच्चा घायल हो गया। दोनो को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सोनौली हाइवे पर महराजगंज जिले के कोल्हुई कस्बे के समीप सड़क किनारे खड़े ट्रक से शनिवार की रात एक मैजिक भिड़ गईं। इस दुर्घटना में मैजिक सवार छह जायरीनों की मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल 12 लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सभी लोग …

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तन्वी सेठ पासपोर्ट मामले के चश्मदीद गवाह कुलदीप के अपहरण से हड़कंप

अनस-तन्वी पासपोर्ट मामले में खुद को चश्मदीद गवाह बताने वाले कुलदीप सिंह के अपहरण की खबर से सनसनी मच गई। कुलदीप सिंह ने बताया कि लखनऊ के जानकीपुरम एक्सटेंशन से शनिवार दोपहर स्कार्पियो सवार कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया।कुलदीप के मुताबिक वे लोग उसे लखीमपुर के रास्ते नेपाल ले जा रहे थे, लेकिन इस दौरान वह अपहर्ताओं को चकमा देकर लखीमपुर की संसारपुर पुलिस चौकी पहुंचा। बता दें पासपोर्ट मामले में कुलदीप सिंह खुद को चश्मदीद गवाह बता रहा है। इसी मामले में वह शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करने वाला था। कुलदीप के अनुसार, शनिवार दोपहर करीब 2.15 बजे उसे किडनैप कर लिया गया। खीरी में मैलानी थानाक्षेत्र में किडनैपर्स से छूट कर वह भाग निकला। कुलदीप का कहना लखनऊ से पुलिस टीम उसे लेने पहुंच रही है. View image on Twitter View image on Twitter ANI UP ✔ @ANINewsUP Kuldeep, a person claiming to be the eyewitness in the interfaith couple passport case has surfaced, he is supporting the RPO, he has also said an abduction attempt was made on him. All this is totally unconfirmed right now and we are looking into it: Deepak Kumar,SSP Lucknow 11:47 AM - Jun 24, 2018 190 109 people are talking about this Twitter Ads info and privacy वहीं लखनऊ पुलिस ने तन्वी सेठ के पासपोर्ट की जांच एलआईयू से कराने के निर्देश दिए हैं। पुलिस के मुताबिक तन्वी सेठ के नाम और स्थायी पते की जांच होगी। पासपोर्ट विवाद के तूल पकड़ने के बाद भले ही तन्वी सेठ को पासपोर्ट दे दिया गया हो, अगर एलआईयू जांच में गड़बड़ी पाई गई तो तन्वी सेठ का पासपोर्ट भी जब्त हो सकता है। गौरतलब है कि पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा पर आवेदक तन्वी सेठ ने बदसलूकी का आरोप लगाया था। तन्वी सेठ के मुताबिक, बुधवार को जब वह अपना आवेदन लेकर विकास मिश्रा के पास गई तो उन्होंने मुस्लिम से शादी करने को लेकर निजी कमेंट किए। तन्वी सेठ का आरोप है कि जब उन्होंने इसका विरोध किया तो विकास मिश्रा ने उनके साथ बदसलूकी भी की। छुट्टी के दिन खुला पासपोर्ट कार्यालय, विदेश मंत्रालय भेजी तन्वी प्रकरण की रिपोर्ट यह भी पढ़ें तन्वी सेठ ने इस पूरे मामले की शिकायत ट्विटर के जरिये विदेश मंत्रालय से की थी। घटना की जानकारी मिलते ही विदेश मंत्रालय ने तुरंत कार्रवाई कर लखनऊ कार्यालय से रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद विकास मिश्रा का तबादला गोरखपुर करने के साथ आनन-फानन में तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी का पासपोर्ट जारी कर दिया गया था। राजेश साहनी मौत मामले में एडीजी ने एटीएस मुख्यालय में की जांच, सीबीआइ जांच का इंतजार यह भी पढ़ें वहीं विकास मिश्रा ने गुरुवार को ही मीडिया के सामने तन्वी सेठ द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा था कि तन्वी सेठ गलत तरीके से अपने पति का नाम पासपोर्ट में शामिल कराना चाहती थीं, जिस निकाहनामे को आधार बनाकर वह यह दावा कर रहीं थीं, उसमें उनका नाम 'सादिया अनस' लिखा हुआ था।

अनस-तन्वी पासपोर्ट मामले में खुद को चश्मदीद गवाह बताने वाले कुलदीप सिंह के अपहरण की खबर से सनसनी मच गई। कुलदीप सिंह ने बताया कि लखनऊ के जानकीपुरम एक्सटेंशन से शनिवार दोपहर स्कार्पियो सवार कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया।कुलदीप के मुताबिक वे लोग उसे लखीमपुर के रास्ते …

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योगी के मंत्री ने बेटे की शादी के प्रीतिभोज के लिये उठाया फावड़ा, बनायी सड़क

योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने शनिवार को अपने दोनों बेटों के साथ सड़क बनाने के लिये फावड़ा उठा लिया। कैबिनेट मंत्री को सड़क बनाने के लिए मिट्टी फेंकते देख गांव के लोग भी जुट गए। कुछ लोगों ने इसकी तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दीं। बताया जा रहा है कि सड़क बनाने के लिए छह महीने पहले प्रस्ताव भेजने के बाद भी अब तक कोई काम नहीं होने पर कैबिनेट मंत्री फावड़ा उठाने के लिए मजबूर हुए। बताते चलें कि कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बड़े बेटे अरविंद राजभर की 21 जून को शादी हुई है। 24 जून को वाराणसी में फतेहपुर खौदा स्थित कैबिनेट मंत्री के निवास स्थान पर प्रीति भोज का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कई वीवीआईपी पहुंचने वाले हैं। गांव पर प्रीति भोज के कार्यक्रम को देखते हुए ही ओमप्रकाश राजभर ने करीब छह महीने पहले 500 मीटर सड़क बनाने के लिए प्रस्ताव दिया था। बताया जा रहा है कि अब एक दिन बाद जबकि प्रीति भोज का कार्यक्रम है, अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। यही वजह है कि नाराज कैबिनेट मंत्री अपने दोनों बेटों के साथ खुद फावड़ा लिए सड़क बनाने में जुट गए। काशीपुराधिपति को प्रणाम कर धर्मपथ पर बढ़े योगी आदित्यनाथ के कदम यह भी पढ़ें यूपी सरकार में शामिल होने के बावजूद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर लगातार बीजेपी और योगी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। योग दिवस के मौके पर भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के सवाल पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि उनके पास करने के लिए इससे भी बेहतर कई चीजें थीं।

योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने शनिवार को अपने दोनों बेटों के साथ सड़क बनाने के लिये फावड़ा उठा लिया। कैबिनेट मंत्री को सड़क बनाने के लिए मिट्टी फेंकते देख गांव के लोग भी जुट गए। कुछ लोगों ने इसकी तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दीं। बताया …

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कॉर्बेट पार्क ही नहीं, अब उत्तराखंड के हर फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में रुकना होगा महंगा

उत्तराखंड में वन विश्राम भवनों (फॉरेस्ट रेस्ट हाउस) में ठहरना अब महंगा होगा। इसकी दरों में दो से ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में की गई ऐसी पहल के बाद प्रदेश के सभी वन विश्राम भवनों के मामले में भी सरकार ने ऐसा करने की ठानी है। वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को इसका प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट रेस्ट हाउसों का ठीक से रखरखाव नहीं हो पा रहा, ऐसे में नई दरों का निर्धारण करना जरूरी है। राज्यभर में वन विश्राम भवनों की संख्या 350 के लगभग है और इनमें एक रात्रि ठहरने का शुल्क भारतीयों के लिए 250 से 5000 रुपये और विदेशियों के लिए पांच सौ से 12 हजार रुपये तक है। पिछले कई सालों से इनकी दरों में इजाफा नहीं हुआ है, जबकि दरों में वृद्धि की बात लंबे अर्से से चल रही है। इस बीच बीती सात मई को हुई टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर कार्बेट टाइगर रिजर्व की शासी निकाय की बैठक में इस रिजर्व के अंतर्गत आने वाले वन विश्राम भवनों के लिए दरों में दो से ढाई गुना वृद्धि का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस बारे में शासनादेश होना बाकी है। माना जा रहा कि कार्बेट में इस साल 15 नवंबर को पार्क खुलने के बाद वहां नई दरें लागू हो जाएंगी। उत्तराखंड में पौधरोपण पर करोड़ों खर्च, नतीजा फिर भी सिफर यह भी पढ़ें अब इसी तर्ज पर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में वन विश्राम भवनों के शुल्क की दरों में बढ़ोतरी का निश्चय किया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि विभाग के तमाम रेस्ट हाउस ऐतिहासिक हैं। इनमें कई आजादी से पहले के बने हैं। ठहरने को शुल्क की दरें कम होने के कारण इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में शुल्क की दरों में बढ़ोतरी समय की मांग है। डॉ. रावत ने कहा कि शुल्क की नई दरों के संबंध में पीसीसीएफ जय राज को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है। इसमें इस बात का ख्याल रखने को कहा गया है कि स्कूली बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को कुछ छूट भी दी जाए। उन्होंने कहा कि शुल्क की दरें बढ़ने से होने वाली आय वन विश्राम भवनों के रखरखाव पर खर्च करने के साथ ही वहां अन्य सुविधाएं जुटाने पर खर्च की जाएगी।

उत्तराखंड में वन विश्राम भवनों (फॉरेस्ट रेस्ट हाउस) में ठहरना अब महंगा होगा। इसकी दरों में दो से ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में की गई ऐसी पहल के बाद प्रदेश के सभी वन विश्राम भवनों के मामले में भी सरकार ने ऐसा करने की …

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अपनों से मिली बेरुखी, गैरों ने संवारी सूरत, दामन में छिपे हैं कई ऐतिहासिक पल

विश्व गणतंत्र की जननी वैशाली अपने इतिहास के उज्जवल धरोहर को अपनी आगोश में छिपाए आज भी सिसक रही है। विकास के नाम पर यहां के लोगों को दंश के सिवा कुछ नहीं मिला। हर मामले में पिछड़ा यह इलाका आज भी सर्वांगिण विकास की बाट जोह रहा है। वैशाली में बैठ कर यह कल्पना करना भी कठिन जान पड़ता है कि ढाई हजार वर्ष पूर्व पहले यह नगरी संपन्न और प्रभावशाली गणराज्य की राजधानी थी। 23 अप्रैल 1956 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के वैशाली में कहे गए शब्द यहां के आम लोगों की जिंदगी को देखकर ही कहे गए थे। भारत सरकार एवं बिहार सरकार के मंत्रियों द्वारा कितनी घोषणाएं की गयी अब यहां के लोग भूल गए हैं। उपेक्षा का दंश झेल रही वैशाली आज भी मजदूरों के पलायन, शिक्षा की बद से बदतर स्थिति, सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव, स्वास्थ्य व शुद्ध पेयजल के लिए मुहताज है। उद्योग के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। इसे वैशाली का दुर्भाग्य कहें या यहां के लिच्छवियों के पतन की अंतिम कहानी। बिहार के विकास में मददगार बनेगा जापान, पर्यटन को देगा बढ़ावा यह भी पढ़ें विश्व को गणतंत्र देने वाली वैशाली का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक इतिहास और भी पुराना है। स्वयं नारायण ने बामण अवतार लेकर राजा बली से तीन पग भूमि यहीं मांगी थी। स्वयंवर में भाग लेने जनकपुर जाने के क्रम में भगवान राम अपने गुरु विश्वामित्र एवं अनुज लक्ष्मण के साथ यहां वैशाली का आतिथ्य स्वीकार किया था। यहीं अलार कलाम के आश्रम में भगवान बुद्ध ने सांख्य दर्शन की शिक्षा पाई थी। राजधानी पटना में शराब के साथ दो चीनी नागरिक गिरफ्तार, सात हिरासत में यह भी पढ़ें विदेशियों ने वैशाली को संवारा यहां अब तक हुए विकास में विदेशियों का योगदान कहीं अधिक है। बौद्ध देश जापान के सहयोग से यहां भव्य शांति स्तूप का निर्माण हुआ। कई देशों की भक्त मॉनेस्ट्री वैशाली के सौंदर्य को बढ़ाने का काम किया। रैलिक स्तूप, सुंदर उद्यान जहां विदेशी सहयोग से फलीभूत हुआ। वहीं जैन संप्रदाय के लोगों ने उनकी जन्मस्थली बासोकुंड में भव्य मंदिर एवं मूर्ति का निर्माण कराया। उद्धारक की बाट जोह रहे ऐतिहासिक स्थल वैशाली की राजनर्तकी आम्रपाली का गांव अंबारा, बावन पोखर, सूफी संत मिलन साह का मजार, चौमुखी महादेव, अलार कलाम का आश्रम, जंगली मठ, विमलकृति सरोवर ऐसे दर्जनों ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। इन स्थलों का हाल देखकर वे सरकार और उसकी व्यवस्था को कोसते हुए चले जाते हैं।

विश्व गणतंत्र की जननी वैशाली अपने इतिहास के उज्जवल धरोहर को अपनी आगोश में छिपाए आज भी सिसक रही है। विकास के नाम पर यहां के लोगों को दंश के सिवा कुछ नहीं मिला। हर मामले में पिछड़ा यह इलाका आज भी सर्वांगिण विकास की बाट जोह रहा है। वैशाली …

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EXCLUSIVE : भय्यू महाराज मामला , विवादित जमीन के सौदागर भी थे सेवादार!

भय्यू महाराज (उदयसिंह देशमुख) आत्महत्या केस में नई जानकारी सामने आई है। जो सेवादार, कंस्ट्रक्शन व्यवसायी महाराज को बार-बार कॉल कर रहे थे उनकी भूमिका संदिग्ध है। कुछ पर जमीन और स्टांप हेराफेरी का शक है, जिसकी डीजीपी द्वारा गोपनीय जांच करवाई जा रही है। 50 वर्षीय भय्यू महाराज की आत्महत्या के पीछे पुलिस ने भले ही पारिवारिक कलह बताई हो लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और ही कथा छुपी हुई है। जानकार बताते हैं कि भय्यू महाराज के कुछ करीबी रियल इस्टेट और जमीनों की खरीद-फरोख्त करने लगे थे। वे उनसे जुड़े बड़े कारोबारियों को भी विवादित जमीनों को सस्ती बताकर सौदा करवा देते थे। कुछ समय पूर्व उनके कहने पर मुंबई की चिटफंड कारोबारी (महिला) ने भी बैतूल में करोड़ों रुपए कीमती जमीन खरीदी थी। बताते हैं कि सौदे में कंस्ट्रक्शन व्यवसायी मनमीतसिंह अरोरा (सिल्वर स्प्रिंग), सेवादार अमोल चौहान (पुणे) आदि की अहम भूमिका रही है। महिला का आरोप है कि इस जमीन की रजिस्ट्री में स्टांप की हेराफेरी की गई। जैसे ही महिला कारोबारी को इसका पता चला उसने कर्मचारी विलास आर. रासम निवासी कल्पना हनुमान मंदिर के पास सोपरा गांव ठाणे (महाराष्ट्र) के जरिए सभी के खिलाफ डीपीजी ऋषिकुमार शुक्ला को शिकायत करवा दी। शिकायत में कहा गया कि घोटाले में संगठित गिरोह का हाथ है। मामला हाईप्रोफाइल होने पर डीजीपी ने टीम गठित की और शिकायत (167/17) पंजीबद्ध कर ली। घोटाले की जांच सीबीआई से लौटे निरीक्षक को सौंपी गई। निरीक्षक ने शिकायतकर्ता और आरोपितों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया। बताया यह भी जाता है कि उक्त महिला कारोबारी के करोड़ों रुपए विदेश में फंसे हुए थे। भय्यू महाराज ने यह राशि वसूलने के लिए भी महिला की मदद की थी। मनमीत अरोरा और अमोल से हो रही थी लंबी बातचीत - पुलिस ने पहले परिवार के सदस्यों और कुछ सेवादारों के बयान लेकर मामले से पल्ला झाड़ लिया था। नईदुनिया ने संदेहियों की कॉल डिटेल और उनके बीच हुई बातचीत का खुलासा किया और बताया कि मनमीत अरोरा व अमोल चौहान घटना के दो दिन पूर्व से लगातार कॉल कर रहे थे। भय्यू महाराज इनसे हुई बातचीत के बाद तनाव में आ जाते थे। वह कभी वॉशरूम तो कभी बंद कार में बात करते थे। सीएसपी ने प्रमुख संदेही मनमीत अरोरा, अमोल चौहान से पूछताछ की। सीएसपी के मुताबिक जमीनों में हुए निवेश की जानकारी मिली है। संदेहियों से दोबारा पूछताछ कर ली जाएगी। कभी नहीं किए व्यावसायिक सौदे - राजा बड़जात्या के मुताबिक उनका मुख्य काम वकालत है। उनकी सूर्योदय (आश्रम) और महाराज के प्रति आस्था है। उन्होंने महाराज से कभी व्यावसायिक सौदे नहीं किए। जो जानकारी पता थी वह पुलिस को बता दी। पुलिस जांच पर विश्वास है। सेवादारों ने छुपा लिया महा'राज - पुलिस ने भी मान लिया पुलिस ने राजा बड़जात्या, अमोल चौहान और मनमीत अरोरा से पूछताछ की तो उन्होंने कुहू (बेटी) और डॉ. आयुषी (पत्नी) के बीच चल रही लड़ाई ही मुख्य वजह बताई और जमीनों में किए निवेश व मुंबई की महिला कारोबारी के संपर्क सूत्रों को छुपा लिया। जांच अधिकारी सीएसपी मनोज रत्नाकर ने फौरी तौर पर बयान लिए। भय्यू महाराज की सास रानी शर्मा के मुताबिक पारिवारिक झगड़ा तो सेवादार और पुलिस की उपज है। भय्यू महाराज का डॉ. आयुषी से बेहद लगाव था। वह उसके कारण आत्महत्या नहीं कर सकते। कुछ वजह है जो उनसे भी छुपाई जा रही है। रानी ने मामले की जांच कर संदेहियों पर कार्रवाई की मांग की है।

भय्यू महाराज (उदयसिंह देशमुख) आत्महत्या केस में नई जानकारी सामने आई है। जो सेवादार, कंस्ट्रक्शन व्यवसायी महाराज को बार-बार कॉल कर रहे थे उनकी भूमिका संदिग्ध है। कुछ पर जमीन और स्टांप हेराफेरी का शक है, जिसकी डीजीपी द्वारा गोपनीय जांच करवाई जा रही है। 50 वर्षीय भय्यू महाराज की …

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उत्तराखंड के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब इस तरह होंगे रोशन, जानिए

प्रदेश के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इतना ही नहीं भारी-भरकम बिलों का भुगतान नहीं होने से विद्यालयों में अंधेरा भी नहीं पसरेगा। विद्यालयों से व्यावसायिक दरों के बजाय घरेलू दरों पर बिजली के बिल लिए जाएंगे। इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। राज्य में अभी भी तकरीबन तीन हजार स्कूलों में बिजली नहीं है। इसके अलावा विद्यालयों से वर्तमान में व्यावसायिक दर से बिजली बिल की वसूली की जा रही है। बिलों के भुगतान की राशि न होने के कारण बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय भी हैं, जिनके कनेक्शन कटे हुए हैं। ऐसे में विद्यालयों का अंधेरा दूर करने के लिए शिक्षा महकमा अब नई योजना पर काम कर रहा है। गुरुवार को ननूरखेड़ा स्थित राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में आयोजित समीक्षा बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने इसे लेकर सभी जनपदों से रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि समस्त तोक प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना से आच्छादित किए जा रहे हैं। इसके बावजूद जो स्कूल छूट जाएंगे वहां सौर ऊर्जा से विद्युत व्यवस्था की जाएगी। जानिए लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने क्या कहा छात्र-छात्राओं से यह भी पढ़ें उरेडा ने प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय भवनों और शिक्षा विभाग के कार्यालयों की छत पर एक केवी से दस केवी तक सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव भी महकमे को दिया है। जहां बिल बकाया होने के कारण कनेक्शन कटा हुआ है, उसका भी ब्योरा जुटाया जा रहा है। यहां जल्द विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी। विद्युत टैरिफ पर निर्णय लेने का अधिकार क्योंकि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को है। महकमे की ओर से प्रस्ताव तैयार कर आयोग को भेजा जाएगा ताकि स्कूलों को घरेलू रेट पर बिजली मिल सके।

प्रदेश के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इतना ही नहीं भारी-भरकम बिलों का भुगतान नहीं होने से विद्यालयों में अंधेरा भी नहीं पसरेगा। विद्यालयों से व्यावसायिक दरों के बजाय घरेलू दरों पर बिजली के बिल लिए जाएंगे। इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।  …

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बेहतर प्लेसमेंट के कारण चंडीगढ़ युवाओं की पहली पसंद,पर एडमिशन की डगर मुश्किल

डॉ. सुमित सिंह श्योराण/राजेश मलकानियां/रोहित कुमार]। पंजाब यूनिवर्सिटी और शहर के कॉलेजों में दाखिले की दौड़ शुरु हो चुकी है। पंसद के कॉलेज और स्ट्रीम में दाखिले के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 23 जून हैं। सीटों के मुकाबले आवेदन की संख्या कई गुणा होने से कम मेरिट वाले स्टूडेंट्स के लिए दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी। पीयू और कॉलेजों में दाखिले में सबसे अधिक दिक्कत ट्राईसिटी से पंचकूला और मोहाली के स्कूलों से 12वीं पास करने वाले स्टूडेट्स को होगी। मोहाली और पंचकूला से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने पर चंडीगढ़ के कॉलेज और पंजाब यूनिवर्सिटी ही पहली प्राथमिकता रहती है। लेकिन मोहाली और पंचकूला के स्टूडेंट्स को जनरल कोटे के तहत ही दाखिला मिलेगा। जनरल कोटे के तहत पीयू और कॉलेजों में सिर्फ मोहाली और पंचकूला के स्टूडेंट्स के लिए 15 फीसद सीटें ही रिजर्व होती हैं। दैनिक जागरण ने सप्ताह के मुद्दे के तहत कॉलेज और पीयू में दाखिले की दिक्कतों को समझा। चंडीगढ़ से डिग्री तो बेहतर करियर की उम्मीद एनसीसी, एनएसएस व यूथ फेस्ट की वेटेज दिलाएगी दाखिले की मेरिट लिस्ट में जगह यह भी पढ़ें स्कूल लेवल की पढ़ाई के लिए पंचकूला और मोहाली में अच्छे स्कूल हैं। हर साल सीबीएसई 10वीं और 12वीं में यहांं के स्कूलों के स्टूडेंट्स का शानदार रिजल्ट रहता है। 2018 में भी सीबीएसई,नीट और एम्स में पंचकूला के स्टूडेंट्स ही टॉपर रहे हैं। लेकिन, हायर एजुकेशन के लिए मोहाली और पंचूकला में कोई भी उच्च स्तर की यूनिवर्सिटी और कॉलेज नहीं है। जिस कारण यहां के स्टूडेंट्स पंजाब यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ के कॉलेजों में ही दाखिले को तव्वजो देते हैं। जॉब प्लेसमेंट की बात करें तो पीयू के यूबीएस, यूआइईटी, यूआइसीईटी और पेक जैसे संस्थानों से डिग्री के बाद 45 लाख तक सालाना पैकेज स्टूडेंट्स को मिलता है। स्कूलों की दादागीरी, दुकानों की भागीदारी : सेट ही खरीदना होगा, एक किताब या स्टेशनरी नहीं मिलेगी यह भी पढ़ें बीकॉम में दाखिला नहीं है आसान पीयू और शहर के कॉलेजों में बीकॉम में दाखिले के लिए सबसे अधिक मारामारी रहती है। 11 कॉलेजों में बीकॉम की 2300 सीटों के लिए 8 हजार से अधिक आवेदन आते हैं। इन सीटों में सिर्फ 15 फीसद सीटें ही चंडीगढ़ से बाहर के स्टूडेंट्स के लिए होती हैं। मोहाली और पंचकूला के स्कूलों से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भी 15 फीसद कोटे में गिना जाता है। बीकॉम में जनरल कोटे के तहत 90 फीसद से अधिक कट ऑफ रहता है। 35 हजार से अधिक आवेदन चंडीगढ़ के 11 प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में विभिन्न कोर्स में दाखिले के लिए 23 जून आवेदन की अंतिम तिथि है। अभी तक 35 हजार से अधिक आवेदन करीब 23 हजार सीटों के लिए आ चुके हैं। शहर के कॉलेजों में प्रोफेशनल ही नहीं बीए जैसे कोर्स में भी दाखिले के लिए खासी मारामारी है। जनरल कोटे के तहत जीसीजी-11 जैसे कॉलेजों में 85 फीसद कट ऑफ रहता है। शहर के प्राइवेट कॉलेजों की बात करें तो एसडी-32 कॉलजे, एमसीएम-36 कालेज,डीएवी कॉलेज-10 और सरकारी कालेजों में जीसी-11, जीसीजी-11,जीसीजी-42,जीसी-46 और सेक्टर-50 स्थित कॉमर्स कॉलेज में दाखिले के लिए खूब मारामारी रहती है। चंडीगढ़ में बेहतर पढ़ाई और इंफ्रास्ट्रक्चर चंडीगढ़ के कॉलेज और यूनिवर्सिटी नार्थ रीजन ही नहीं देशभर के युवाओं की पहली पसंद है। स्मार्ट सिटी के कॉलेजों का बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर है। यहां के सरकारी कॉलेजों में भी देश के अन्य प्राइवेट इंस्टीट्यूट से बेहतर सुविधाएं हैं। प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों की फीस लगभग एक समाना है। जबकि चंडीगढ़ के पेरीफेरी में पढऩे वाली यूनिवर्सिटी की फीस पीयू और कालेजों से कई गुणा अधिक है। देश भर की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में रैंकिंग भी काफी अच्छी है। इन कोर्स के लिए अधिक मारामारी, सीटों से कई गुणा आवेदन वैसे तो पंजाब यूनिवर्सिटी के किसी भी कोर्स में दाखिले के लिए कट ऑफ काफी अधिक रहती है। लेकिन पीयू के कुछ कोर्स के लिए सीटों के मुकाबले कई गुणा अधिक आवेदन आते हैं। पीयू स्थित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज (यूआईएलएस) में पांच वर्षीय लॉ कोर्स की 240 सीटों के लिए 4034 स्टूडेंट्स ने आवेदन किया है। पीयू एमए इकोनॉमिक्स (इंटिग्रेटेड कोर्स ) पांच वर्षीय, तीन वर्षीय लॉ, एमए इंग्लिश के अलावा बीएससी केमिस्ट्री, एमएससी जूलोजी जैसे कोर्स में दाखिले के लिए सबसे अधिक कंपीटीशन रहता है। इंजीनियरिंग कोर्स के लिए यूआइईटी (640 सीटें), यूआइसीईटी (240सीटें) पहली पसंद हैं। पंचकूला में सिर्फ दो कॉलेज, यूनिवर्सिटी की मांग पंचकूला के युवाओं के लिए हायर एजुकेशन के बहुत अधिक विकल्प नहीं है। जिस कारण उन्हें चंडीगढ़ या दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। पंचकूला शहर में सिर्फ दो कॉलेज हैं। जिसमें सेक्टर 1 में पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज (कोएड) और 14 में गर्ल्स महाविद्यालय है। कालका और बरवाला में भी एक गवर्नमेंट कॉलेज है। काफी समय से पंचकूला में यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर मांग उठती रही है, लेकिन सरकार की ओर से इस मामले में जमीनी स्तर पर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। मजबूरी में लेना पड़ता है दाखिला पंजाबी यूनिवर्सिटी नजदीक होने के चलते छात्र सबसे पहले चंडीगढ़ दाखिला लेने की कोशिश करते हैं, परंतु जब वहां सीट नहीं मिलती तो वापस पंचकूला का रुख कर लेते हैं। ज्यादातर छात्र बारहवीं कक्षा चंडीगढ़ से ही करते हैं, ताकि चंडीगढ़ के कॉलेजों में दाखिला मिलना आसान हो जाए। चंडीगढ़ से 12वीं करने वाले स्टूडेंट्स को पीयू और कॉलेजों में 85 फीसद रिजर्वेशन मिलता है। कॉलेजों में आवेदन का अंतिम दिन पंचकूला जिले के चारों कॉलेजों में डिग्री लेवल कोर्स के लिए ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 22 जून की रात 12 बजे तक विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। स्टूडेंट्स घर बैठे भी ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं, तो वह हरियाणा हायर एजुकेशन की वेबसाइट की मदद से एडमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। कॉलेजों में एडमिशन एक जुलाई से शुरू हो जाएंगे। जिले के चारों कॉलेजों में बीकॉम की 1040 और बीए की 1320 सीटें है। घर बैठे भी कॉलेजों में एडमिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। एक जुलाई को पहली लिस्ट जारी होगी। मोहाली के एक मात्र कॉलेज को पीयू से जोडऩे का प्रयास जिला मोहाली में दो सरकारी कॉलेज हैं। एजुकेशन हब के तौर पर उभर रहे मोहाली में कई निजी विश्वविद्यालय और कॉलेज तो हैं, लेकिन अगर सरकारी कॉलेजों की बात की जाए तो डेराबस्सी व मोहाली में सिर्फ एक एक कॉलेज है। मोहाली के स्टूडेंट्स की प्राथमिकता भी चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी और कॉलेज में दाखिला रहता है। चंडीगढ़ में दाखिला नहीं मिलने पर ही स्टूडेंट मोहाली और डेराबस्सी के कॉलेज में दाखिले को प्राथमिकता देते हैं। पीयू से एफिलिएशन की हो रही मांग मोहाली स्थित सरकारी कॉलेजों को पीयू से एफिलिएशन की लंबे समय से मांग की जा रही है। इस संबंध में पंजाब सरकार को भी लिखा जा चुका है। कॉलेज की कुल स्टूडेंट्स की संख्या 1704 है, लेकिन स्टूडेंट्स से लेकर कॉलेज फैकल्टी तक चाहते है कि कॉलेज को पीयू से मान्यता मिल जाए। इसको लेकर मुख्यमंत्री तक को दो माह पहले ज्ञापन तक दिया जा चुका है। कॉलेज में एडमिशन का प्रोसेस पिछले तीन साल से ऑन लाइन ही किया जा रहा है। मोहाली सरकारी कॉलेज में एमए पंजाबी शुरू किया जा रहा है। चंडीगढ़ कॉलेजों के मुकाबले यहां पर स्ट्रीम चुनने (विषय) के लिए स्टूडेंट्स के पास काफी कम विकल्प हैं। इस कारण भी मोहाली के स्टूडेंट्स चंडीगढ़ के कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं। ये होती है स्टूडेंट्स को दिक्कतें कॉलेज प्रबंधन के अनुसार कॉलेज में आने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स ग्रामीण क्षेत्रों से है। उन्हें हर छोटे से छोटे काम के लिए पटियाला जाना पड़ता है। क्योंकि कॉलेज पटियाला यूनिवर्सिटी के साथ अटैच है। कॉलेज पीयू के साथ अटैच न होने के कारण स्टूडेंट्स चंडीगढ़ की ओर ज्यादा रूख करते है। जिसके चलते स्टूडेंट्स की संख्या पर भी असर पड़ता है। इस लिए कॉलेज प्रबंधन चाहता है कि जल्द से जल्द पीयू से मान्यता मिल जाए। क्या कहना है प्रिंसिपल का कॉलेज की प्रिंसिपल कोमल बरोका ने कहा कि मुख्यंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भरोसा मिला है कि कॉलेज को पीयू से जोड़ दिया जाएगा। हम चाहते है कि ऐसा हो जाएगा। अगर ऐसा हो गया तो चंडीगढ के कॉलेजों से बेहतर कॉलेज साबित होगा। कोमल ने कहा कि पशु पालन मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को भी कॉलेज के पटियाला यूनिवर्सिटी के साथ अटैच होने के कारण हो रही समस्याओं के बारे में बता दिया गया है। इस लिए प्रबंधन का प्रयास है कि इस साल पीयू से मान्यता मिल जाए।

डॉ. सुमित सिंह श्योराण/राजेश मलकानियां/रोहित कुमार]। पंजाब यूनिवर्सिटी और शहर के कॉलेजों में दाखिले की दौड़ शुरु हो चुकी है। पंसद के कॉलेज और स्ट्रीम में दाखिले के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 23 जून हैं। सीटों के मुकाबले आवेदन की संख्या कई गुणा होने से कम मेरिट वाले स्टूडेंट्स …

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बाबा हरदेव निरंकारी की बेटी का सनसनीखेज आरोप, पति ने की हजारों करोड़ की ठगी

दो साल पहले कनाडा में हुए सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह के कुनबे में घमासान मचा हुआ है। हरदेव सिंह की बड़ी बेटी समता ने अपने पति संदीप खिंड़ा पर 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी का आरोप लगाया है। समता का कहना है कि इसके लिए उनके डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया। समता ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई है। हरदेव सिंह की 13 मई 2016 को कनाड़ा में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। यह इत्तेफाक ही है कि उस वक्त संदीप उनके साथ कार में ही था। जानकारी के मुताबिक, संदीप खिंड़ा बाबा हरदेव सिंह के बड़े दामाद हैं, बावजूद इसके निरंकारी मिशन की एग्जीक्यूटिव बॉडी में भी अब संदीप खिंडा का कोई स्थान नहीं है। वहीं, समता की पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, उन्होंने अपने पति संदीप खिंड़ा और वरुण और सूरज पर इतनी बड़ा रकम की ठगी करने का आरोप लगाया है। समता का कहना है कि इसके लिए पति संदीप ने डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया। समता ने बताया कि उन्होंने डिजिटल सिग्नेचर के लिए कभी एप्लाई ही नहीं किया था और कंपनी ने उनके डिजिटल सिग्नेचर बना दिए। जानें- TV पर लोकप्रिय वह चेहरा जिस पर उसकी ही शिष्या ने लगाया दुष्कर्म का आरोप यह भी पढ़ें पुलिस को दी गई शिकायत के बाद दर्ज एफआइआर में संदीप, उसके पिता बलदेव सिंह, जालंधर के कुलविंदर सिंह, दिल्ली के रहने वाले कंपनी सेक्रेटरी अनुज गुप्ता, गुड़गांव निवासी कंपनी सेक्रेटरी रासू शर्मा, सिफी टेक्नोलॉजी लिमिटेड के चेयरमैन, कंपनी के कर्मचारी आलोक सक्सेना और हिमांशु कपूर का नाम हैं। यह है समता का आरोप बेटी की अस्मत का 'गुनहगार' निकला पति, जांबाज महिला के इस फैसले से हर कोई हैरान यह भी पढ़ें पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, पति संदीप ने जैन फ्लोरीकल्चर लिमिटेड (जेएफएल) नाम की एक कंपनी खरीदी थी, इसमें मुझसे करोड़ों रुपये निवेश करवाए। समता का आरोप है कि कंपनी में 100 फीसदी शेयर मेरे थे। बावजूद इसके संदीप ने उनके फर्जी डिजिटल सिग्नेचर से इन्हें अपने नाम करवा लिया। वहीं, समता ने डिजिटल सिग्नेचर वेरीफाई करने वाली कंपनी सिफी टेक्नोलॉजी पर भी मामला दर्ज कराया है। 13 मई, 2016 को संत निरंकारी मंडल के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह की अमेरिका के न्यूयार्क से कनाडा के मॉन्टि्रयल शहर जाने के दौरान सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। बाबा अपने दोनों दामाद संदीप खिडा व अवनीत सेतिया के अलावा विवेक शर्मा के साथ कार से एक भक्त से मिलने जा रहे थे। मॉन्टि्रयल से करीब 40 किमी पहले टायर फटने से उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और अस्पताल में इलाज के दौरान निरंकारी बाबा का निधन हो गया। सविंदर कौर से की थी शादी बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के संत निरंकारी कॉलोनी में रोसरी स्कूल और फिर पटियाला के एक बोर्डिंग स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी। 1980 में पिता की मौत के बाद उन्हें निरंकारी मंडल का मुखिया बनाया गया था। इसके पूर्व वह 1971 में निरंकारी सेवा दल में शामिल हुए थे। 1975 में उन्होंने फर्रुखाबाद की सविंदर कौर से शादी की थी। 1929 में निरंकारी मिशन की हुई स्थापना संत निरंकारी मिशन की 1929 में स्थापना हुई थी। इस मिशन की 27 देशों में 100 शाखाएं चल रही हैं। भारत में भी तकरीबन हर राज्यों में लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं। बाबा हरदेव सिंह को विश्व में मानवता की शांति के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ भी सम्मानित कर चुका है। निरंकारी मंडल की ओर से बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है। इसमें भारत समेत दुनिया भर के लाखों भक्त भाग लेते हैं।

दो साल पहले कनाडा में हुए सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह के कुनबे में घमासान मचा हुआ है। हरदेव सिंह की बड़ी बेटी समता ने अपने पति संदीप खिंड़ा पर 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी का आरोप लगाया है। समता का कहना …

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कश्मीर में बंधक बनाकर यूपी के नौजवानों से कराई गई पत्थरबाजी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को बढिय़ा रोजगार देने के नाम पर कश्मीर में पत्थरबाजी कराई गई है। कश्मीर में पत्थरबाजी का उत्तर प्रदेश से कनेक्शन सामने आया है। रोजगार की तलाश में पुलवामा गए प्रदेश के बागपत व सहारनपुर के कुछ नौजवानों ने उनसे पत्थरबाजी में शामिल होने के दबाव बनाने का आरोप लगाया है। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने यहां बताया कि सहारनपुर और बागपत जिलों के रहने वाले छह लड़के सिलाई का काम करने के लिए पुलवामा गे थे। उन्हें वहां 20 हजार रुपये प्रति माह वेतन पर काम करने के लिए रखा गया था, लेकिन उनका आरोप है कि उनसे वहां पत्थरबाजी का काम भी लिया जाता था। काम के बाद थके लोगों को जब पत्थरबाजी करने को कहा जाता था तो यह लोग मजबूरी में पत्थरबाजी भी करते थे। अगर न करते तो इन लोगों को पगार नहीं मिलती थी। इसके बाद इस काम से त्रस्त होकर यह सभी लोग अपने घर लौट आए। डीजीपी ने कहा कि युवा अपने साथ सिलाई की डिजायन भी लेकर आए हैं। ऐसे में हम इसे बहुत विवेकपूर्ण तरीके से देखेंगे और इसमें एटीएस जांच करेगी। उत्तर प्रदेश में जन्माष्टमी पर आजमगढ़ समेत कई जगह बवाल यह भी पढ़ें पुलवामा से लौटकर आए बागपत निवासी एक युवक ने दावा किया है कि उसे तथा कुछ अन्य लड़कों को 20 हजार रुपये प्रतिमाह पर सिलाई का काम कराने के लिए बुलाया गया था। कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, मगर बाद में दूसरे कामों में लगा दिया गया। हमसे पथराव भी कराया जाता था। एसएसबी परीक्षा देने से रोकने पर पथराव, आगजनी यह भी पढ़ें बागपत के पुलिस अधीक्षक जय प्रकाश ने बताया कि पुलवामा से लौटकर आए एक अन्य युवक ने पूछताछ में बताया है कि उन्हें फैक्ट्री में रखा गया था। एक बार वहां कोई घटना हुई तो वहां काम कर रहे मजदूर पत्थरबाजी में शामिल हो गए थे। उनसे भी ऐसा करने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया और वहां से भाग आए। सहारनपुर के एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि लगभग सात-आठ युवक कश्मीर गए थे और युवकों के सभी दावों की गहराई से जांच कराई जा रही है। बागपत के रहने वाले अंकित का दावा है कि वहां पहले कुछ दिन तो सही रहा, फिर उनसे कहा जाता था कि मुंह पर कपड़ा बांध लो और सड़क पर जाकर सुरक्षा बलों पर पथराव करो। सहारनपुर के रहने वाले बबलू ने कुछ और ही दावा किया है. बबलू का कहना है कि जनवरी में वे कुछ और युवकों के साथ कश्मीर में सिलाई का काम करने वाली कंपनी में नौकरी के लिए गया. बबलू के मुताबिक एक-डेढ़ महीने तक तो सब सही रहा और उनके घर वालों के खाते में 30-30 हजार रुपये जमा भी कराए गए. लेकिन उसके बाद उनके साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया गया। उनसे बंधकों की तरह साफ-सफाई और कारों की धुलाई का काम करवाया जाने। पैसे देना भी बंद कर दिया गया। विरोध करने पर धमकी दी जाने लगी कि चोरी के आरोप में फंसा दिया जाएगा। बबलू ने पत्थरबाजी के लिए दबाव बनाने की बात को भी कहा है। ऐसा माहौल देखकर वह वहां पर अन्य लोगों के साथ मैं भी बहुत डर गया और घर वापस जाने की ठान ली। मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार, सहारनपुर के एसएसपी बबलू कुमार और बागपत के एसपी जयप्रकाश सिंह के मुताबिक कश्मीर से लौटे युवकों ने जो दावे किए हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। जांच में जो सामने आएगा, उसी के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी। कश्मीर में पत्थरबाजी से पश्चिमी यूपी के कथित कनेक्शन से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। बागपत और सहारनपुर से युवक कश्मीर के पुलवामा के लस्तीपुरा में सिलाई-कढ़ाई का काम करने गए थे। इनके मुताबिक, उनके मास्टर को 45,000 रुपये और बाकी युवकों को 20,000 रुपये महीना वेतन देना तय किया गया था। बागपत जिले की बड़ौत तहसील के गुराना रोड निवासी पीडि़त मास्टर नसीम और अंकित का दावा है कि वहां के बुरे हालात से निकलने के लिए उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से कश्मीर से निकालने के लिए मदद मांगी जिसने बदले में दस हजार रुपए की मांग की। नसीम ने अपने घर से दस हजार रूपये मंगवाये और साथियों के साथ किसी तरह घर वापस पहुंचा। नसीम और उसके साथियों का दावा है कि उन्हें कश्मीर से धमकी भरे फोन मिल रहे है। ढिकाना में ताबड़तोड़ दबिश से पहले ही अंकित फरार कश्मीर में पत्थरबाजों की कैद से छूटकर साथियों के साथ भागे बड़ौत के नसीम से पूछताछ के लिए खुफिया एजेंसियां कोतवाली में डेरा डाले हुए हैं। पूछताछ बढ़ते ही नसीम ने बयान बदलना शुरू कर दिया है। उसने खुफिया एजेंसियों को बताया कि फैक्ट्री मालिक को फंसाने के लिए यह अफवाह फैलाई गई थी कि वह उस पर सेना पर पत्थरबाजी करने का दबाव बनाता था। पुलिस ने नसीम के घर छापेमारी कर उसके पासपोर्ट आदि जब्त कर लिए हैं। तीन दिन से कोतवाली में बैठा नसीम बेहद ही शातिर नजर आ रहा है। उसने पहले बयान दिया था कि वह छह साथियों के साथ कश्मीर के पुलवामा में सिलाई का काम करने एक फैक्ट्री में गया था, लेकिन फैक्ट्री मालिक आतंकवादियों से एनकाउंटर के दौरान उनसे सेना पर पत्थरबाजी करने का दबाव बनाता था। इस बयान पर बागपत से तक हड़कंप मच गया था। नसीम के साथ उसका परिवार भी था। दो महीने तक सब ठीक चलता रहा और पैसे भी वक्त पर मिले लेकिन उसके बाद एक दिन उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जो उसने सोचा भी नहीं था। सेना एक एनकाउंटर कर रही थी, नसीम को फिरन (कश्मीरी कपड़े) पहना कर वहां भेज दिया गया और बाकी कश्मीरियों के साथ पत्थरबाजी करने को कहा गया। नसीम ने इंकार कर दिया तो उसके साथ मारपीट की गई। नसीम ने बातें अपने साथियों और परिवार को बताईं। तय हुआ कि यहां से भाग कर वापस अपने शहर पहुंचा जाए, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी पैसे की थी। नसीम के अपने परिवार से पैसे मंगाए और हवाई टिकट कराए। इसके बाद वह अपने सभी साथियों और परिवार को लेकर एयरपोर्ट पर पहुंचा। वहां से दिल्ली और फिर बड़ौत। घर पहुंच कर उसने पुलिस को पूरी बात बताई। पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग ने पूछताछ शुरू की तो वह बयान बदलने लगा। नसीम और सहारनपुर में पकड़े गए साथियों के बयान को देखकर खुफिया एजेंसियों ने बड़ौत कोतवाली में दिन भर डेरा डाले रखा और नसीम से गहनता से पूछताछ की। नसीम ने स्वयं पर शिकंजा कसते देखा तो कल उसने बयान बदलते हुए एजेंसियों के सामने दावा किया कि फैक्ट्री मालिक के मना करने के बावजूद ईद पर वह अपने साथियों के साथ घर आ गया तो फैक्ट्री मालिक ने उन पर 20 लाख रुपए का कपड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया, जिसके बाद उसने बागपत और सहारनपुर के साथियों को उस पत्थरबाजी के लिए दबाव बनाने का आरोप मढ़ दिया। नसीम के साथ कश्मीर से लौटा उसका साथी अंकित निवासी ढिकाना भी गायब हो गया है। एसपी जयप्रकाश ने बताया कि नसीम से पूछताछ जारी है। अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है। वह दो बार विदेश में काम की तलाश में गया था।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को बढिय़ा रोजगार देने के नाम पर कश्मीर में पत्थरबाजी कराई गई है। कश्मीर में पत्थरबाजी का उत्तर प्रदेश से कनेक्शन सामने आया है। रोजगार की तलाश में पुलवामा गए प्रदेश के बागपत व सहारनपुर के कुछ नौजवानों ने उनसे पत्थरबाजी में शामिल होने के …

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